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चंडीगढ़. तीन कृषि कानूनों (Three Farm Laws) के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने वालीं शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की नेता हरसिमरत कौर (Harsimrat Kaur Badal) ने शुक्रवार को इन कानूनों को वापस लेने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के फैसले को ऐतिहासिक दिन बताया. उन्होंने कहा, “आज वास्तव में एक ऐसा दिन है जो इतिहास में दर्ज हो जाएगा. आज वास्तव में उन 800 किसानों को याद करने का दिन है जिन्होंने इन कानूनों को निरस्त करने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी. हम उन्हें कभी नहीं भूल सकते. हम उन्हें और उनके परिवारों को कभी भी पर्याप्त धन्यवाद नहीं दे सकते.”
शिअद केंद्र में सत्तारूढ़ गठबंधन में सहयोगी था, लेकिन नए कृषि कानूनों के विरोध में वह सरकार से अलग हो गया था. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को पिछले करीब एक वर्ष से अधिक समय से विवादों में घिरे तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा की और इसके लिए संसद के आगामी सत्र में विधेयक लाया जाएगा. प्रधानमंत्री ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से जुड़े मुद्दों पर एक समिति बनाने की भी घोषणा की.
इस बीच, शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir Singh Badal) ने कृषि कानूनों (Farm Laws) की वापसी के बाद भाजपा (BJP) के साथ फिर से गठबंधन की संभावनाओं को सिरे से खारिज कर दिया है. उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा, “किसान आंदोलन के दौरान 700 जानें चली गई हैं, शहादतें हो गई हैं. यही बात हमने पार्लियामेंट में कहा था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को. कि जो आपने काले कानून बनाए हैं, ये देश के किसान नहीं मानते, आप कानून लेकर ना आएं. जो हमने बात कही थी, वो सच हुई.” इसके बाद जब उसे पूछा गया कि क्या अकाली दल भाजपा के साथ दिखाई दे सकता है, तो उन्होंने कहा नहीं.
तीनों कृषि कानूनों के विरोध में अलग-अलग राज्यों मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश से आए किसान पिछले साल से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं. उनका कहना है कि इससे फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद बंद हो जाएगी. किसान संगठनों और सरकार के बीच विवाद के बाद उच्चतम न्यायालय ने 11 जनवरी 2021 को इन तीनों कृषि कानूनों के क्रियान्वयन को अगले आदेश तक के लिए स्थगित कर दिया था.
तीन कृषि कानूनों- कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) अधिनियम, 2020, मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवाओं पर किसानों का (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) समझौता अधिनियम, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 को संसद ने पिछले साल सितंबर में पारित किया था. किसान समूहों का आरोप है कि इन कानूनों से मंडियां और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद प्रणाली समाप्त हो जाएगी और किसान बड़े कॉरपोरेट के मोहताज हो जाएंगे. हालांकि, सरकार ने इन आशंकाओं को निराधार बताया था.
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