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हरियाली तीज में महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन शिव-पार्वती की पूजा से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है। इस दिन को भगवान शिव और मां पार्वती के पुनर्मिलन के पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस व्रत को करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है, विवाह योग्य कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है और सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस व्रत को पूरे विधि-विधान से किया जाता है और कुछ काम करने की मनाही होती है।
हरियाली तीज व्रत में काले और सफेद कपड़ों को भूल से भी नहीं पहनना चाहिए। पूजा-पाठ और व्रत में सुहागिनों का इस रंग के वस्त्र पहनना अशुभ माना जाता है। ठीक ऐसे ही काली रंग की चूड़ियां भी आज के दिन नहीं पहननी चाहिए। हरियाली तीज व्रत में सुहागिन महिलाओं को हरे रंग की चूड़ियां पहननी चाहिए। ये उल्लास और पति की लंबी उम्र का प्रतीक माना जाता है।
तीज का व्रत करते समय किसी पर भी क्रोध नहीं करना चाहिए। इस दिन महिलाओं को पूरे शांत मन से पूजा-पाठ में भाग लेना चाहिए। मन मे किसी भी तरह का नकारात्मक विचार ना लाएं और दूसरों का अपमान करने से बचें। व्रत के दौरान लड़ाई-झगड़े से दूर रहना चाहिए. हरियाली तीज का व्रत बहुत ही फलदायी माना जाता है। इस दौरान किसी भी तरह के लालच या छल-कपट से बचना चाहिए।
तीज के व्रत में भूलकर भी जल या दूध का सेवन नहीं करना चाहिए। इस व्रत में जल पीने की मनाही होती है। इसलिए नियमों का पालन करते हुए इस व्रत को निर्जला ही रखना चाहिए। पारण से पहले मुंह में कुछ भी डालने से व्रत बीच में ही टूट जाता है।
महिलाओं को तीज व्रत के दौरान सोना नहीं चाहिए। व्रत रखने वाली महिलाओं का इस दिन सोना वर्जित माना गया है। आज के दिन पूरी श्रद्धा से भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करे। व्रत रखने वाली महिलाओं को आज सोने की जगह पूरी रात जागकर भजन-कीर्तन करना चाहिए।
तीज व्रत पारण मुहूर्त से पहले नहीं खोलना चाहिए। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार किसी भी व्रत का पारण हमेशा पारण मुहूर्त में ही करना चाहिए। मुहूर्त से पहले या बाद में व्रत तोड़ने से इसका फल नहीं मिलता है। इसलिए व्रत को हमेशा पारण मुहूर्त में ही खोलना चाहिए।
क्या करें-
हरियाली तीज के दिन बड़ों का आदर-सम्मान करना चाहिए। साफ-सफाई के साथ अच्छे और खुश मन से व्रत से संबंधित सारे काम करना चाहिए। इससे व्रत का पूरा फल मिलता है।
हरियाली तीज व्रत रखने वाली सुहागिन महिलाओं को हरियाली तीज की व्रत कथा जरूर सुननी चाहिए। तीज कथा के बिना इस व्रत को पूरा नहीं माना जाता है। इस दिन माता पार्वती से जु़ड़ी गीत और कथाओं को सुनना चाहिए।
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