
असम सिविल सोसायटी के तमाम प्रबुद्ध सदस्यों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश से गुहार लगाई है। इसमें अनुरोध किया गया है कि मुख्य न्यायाधीश एनआरसी (नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस) अथॉरिटी को आदेश दें कि वह पुनर्सत्यापन की तारीखें फिर से तय करे और उन्हें आवेदकों के संबंधित जिलों में ही आयोजित करे ताकि उन्हें आखिरी समय में सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा न करनी पड़े।
आपको बता दें कि जिन लोगों के नाम पुनर्सत्यापन के लिए चुने गए हैं उन्हें फिर से सत्यापन के लिए नोटिस मिला है। लेकिन मुश्किल यह है कि इसके लिए उन्हें महज एक या दो दिन का समय दिया गया है। इन केंद्रों से लौट रहे हजारों लोग अपनी समस्याएं सुना रहे हैं कि 670 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए उन्होंने किस तरह पैसे का इंतजाम किया।
गिरवी रखने पड़े जेवर
इस बीच खबर आई है कि लोअर असम के कामरूप जिले के फजल हक ने अपर असम के सिवसागर पहुंचने के लिए सोने के दो कंगन गिरवी रखे तब कहीं जाकर अपने परिवार के साथ पहुंच पाए। इसी तरह छहगांव के जहीरुल इस्लाम ने बताया कि उनके जैसे तमाम लोगों को किराए के लिए अपनी फसल औने-पौने दामों में बेचनी पड़ी।
रंजन गोगोई को भेजा पत्र
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को भेजे पत्र में इन्होंने लिखा है, 'हम आपसे अनुरोध करते हैं कि आप एनआरसी प्राधिकरण को आसपास के जिलों में सुनवाई को फिर से करवाने का निर्देश दें और कम से कम एक सप्ताह का समय दें ताकि आवेदक सुनवाई में हिस्सा ले सकें और सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय तारीख के भीतर प्रक्रिया पूरी कर सकें।
इन लोगों ने किए हस्ताक्षर
इस खत पर साहित्य अकादमी से सम्मानित अरूप पटंगिया कलिता, त्रिपुरा के पूर्व एडवोकेट जनरल बिजन दास, शिक्षाविद् दिनेश बैश्य, अर्थशास्त्री अनंत कलिता, महिला अधिकारों के काम करने वाली जुनू बोरा, फिल्ममेकर रीमा बोरा और आर्टिस्ट जनेंद्र बोरकाकोटी के हस्ताक्षर भी हैं।
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