दिल्ली पुलिस ने महाघोटाले का भांडाफोड़ किया है। पुलिस साइबर अपराध इकाई (CyPAD) ने 940 करोड़ रुपये के विशाल GST रिफंड घोटाले और 6 लोगों को गिरफ्तार किया है। रिपोर्ट के अनुसार, कुल 340 फर्जी कंपनियां, जो कथित रूप से नकली व्यापारिक लेनदेन में शामिल हैं। पुलिस अधिकारी ने कहा कि GST नंबर जनरेट करने के लिए, जालसाज नकली चोरी किए गए पैन का इस्तेमाल करते हैं। धोखाधड़ी करने वाले, जिन्होंने कथित तौर पर जीएसटी पोर्टल पर फर्जी फर्मों का पंजीकरण किया था। इन्होंने फर्जी दस्तावेज बनाने वाले कई सिम कार्ड खरीदे हैं।


फर्जी कंपनियों का ब्योरा व्यापारिक संस्थाओं या व्यक्तियों को बेचा जाता था, जो फर्जी बिक्री दिखाने और फर्जी जीएसटी रिटर्न के जरिए लेन-देन करने के लिए उन दस्तावेजों का देनदारी को ट्रांसफर करना या रिफंड का दावा करने में इस्तेमाल करते थे। रिपोर्ट में डीपीसी (साइबर क्राइम) एनेश रॉय ने बताया कि पंजीकरण के बाद एक नकली फर्म को जीएसटी नंबर मिलता है। जीएसटी नंबर प्राप्त करने के बाद, फर्जी व्यापार लेनदेन एक और नकली फर्म के साथ किया जाता है। जीएसटी रिफंड को मंजूरी देने से पहले विभाग द्वारा पिछले 2-3 स्तरों के व्यापार लेनदेन की जांच की जाती है।


पैन नंबर सहित जाली आईडी के आधार पर जालसाजों ने बैंक खाते भी खोले हैं और फर्जी बिक्री और खरीद लेनदेन को एक दूसरे से फर्जी जीएसटी रिटर्न दाखिल करके और रिफंड के रूप में जीएसटी में अंतर का दावा करते हुए दिखाया गया है। इस मामले में अभी गिरफ्तार 6 लोगों ने अनुबंध के आधार पर वैट और जीएसटी विभाग में डेटा एंट्री ऑपरेटर के रूप में काम किया था। पुलिस अधिकारी ने बताया कि जांच के दौरान, जीएसटी के फर्जी प्रतिपूर्ति में शामिल होने के संदेह वाली 340 कंपनियों की अब तक पहचान की जा चुकी है। अब उन पर कार्रवाही की जा रही है।