कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के सब्सक्राइबर्स इमरजेंसी में किसी भी अस्पताल में इलाज करा सकेंगे।  फिर चाहे वो इम्पैनल्ड या नॉन इम्पैनल्ड।  यह फैसला उन सब्सक्राइबर्स के लिए बहुत बड़ी राहत है, जिन्हें इमरजेंसी का खतरा रहता है।  जैसे कार्डिएक अरेस्ट के मामले. इस फैसले के पहले सब्सक्राइबर्स को किसी ईएसआईसी डिस्पेंसरी या हॉस्पिटल जाना होता था। प्राइवेट अस्पताल में जाने के लिए पहले रेफरल की जरूरत होती थी। 

ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन कमेटी (टीयूसीसी) के जनरल सेक्रेटरी एसपी तिवारी ने बताया- हार्ट अटैक जैसे मामलों में फौरन अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है।  ऐसे में ईएसआईसी डिस्पेंसरी या हॉस्पिटल में जाकर रेफरल लेने में दिक्कत होती थी, क्योंकि इसके लिए वक्त नहीं होता था।  इसी को ध्यान में रखते हुए बोर्ड बैठक में इस तरह की अनिवार्यता (रेफरल) को खत्म करने का फैसला लिया गया है।  इसके बाद कर्मचारी राज्य बीमा निगम के सब्सक्राइबर्स इमरजेंसी में किसी भी इम्पैनल्ड या नॉन इम्पैनल्ड प्राइवेट हॉस्पिटल में जा सकेंगे। 

नॉन इम्पैनल्ड प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज की शर्त

इन दोनों तरह के अस्पतालों में इलाज कराने में फर्क यह रहेगा कि इम्पैनल्ड हॉस्पिटल्स में इलाज कैश-लेस होगा।  वहीं, नॉन-इम्पैनल्ड हॉस्पिटल्स में इलाज कराने पर सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ सर्विसेज रेट पर रिइम्बर्समेंट मिलेगा।  नॉन-इम्पैनल्ड हॉस्पिटल में इलाज तभी कराया जा सकेगा, जब सब्सक्राइबर्स के आसपास करीब 10 किलोमीटर तक कोई ईएसआईसी या इम्पैनल्ड हॉस्पिटल नहीं होगा। 

ईएसआईसी खुद करेगी अस्पतालों का संचालन

तिवारी ने कहा- ईएसआईसी अब जिन भी अस्पतालों के तहत हेल्थ सर्विस उपलब्ध कराएगी, उसे वह खुद चलाएगी।  यानी अस्पतालों को अब राज्यों के जिम्मे नहीं सौंपा जाएगा।  ईएसआईसी ने यह फैसला स्वास्थ्य सेवाओं की क्वॉलिटी बनाए रखने के लिए लिया है।