अलग झारखंड राज्य की लड़ाई में सक्रिय रहे आंदोलनकारियों को हेमंत सरकार सरकारी नौकरी और सम्मान पेंशन देगी।  आंदोलनकारियों को चिन्हित करने के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक अवकाश प्राप्त अधिकारी की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग का गठन करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है।  

राज्य सरकार ने निर्णय किया है कि आयोग से वनांचल शब्द हटा दिया जाएगा।  इसे आंदोलनकारियों को चिन्हित कर सम्मान व सुविधा-लाभ प्रदान किए जाने के निमित्त बनाया गया आयोग के नाम से जाना जाएगा। 

राज्य सरकार ने निर्णय किया है कि आंदोलन के क्रम में जेल जाने वाले को सम्मान पेंशन के तौर पर आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।  आंदोलन के क्रम में छह माह से अधिक जेल में गुजारने वालों को 7000 रुपये मासिक पेंशन देने की योजना है।  जबकि तीन माह से कम समय जेल में गुजारने वाले आंदोलनकारियों को 3500 हजार और तीन से छह तक जेल में रहने वालों को 5000 रुपये पेंशन मिलेगा। 

 आंदोलनकारी की मृत्यु की स्थिति में उनके आश्रितों को यह लाभ मिलेगा।  पुनर्गठित आयोग का कार्यकाल एक वर्ष का होगा।  चिन्हितीकरण आयोग को मिले आवेदन के आधार पर दस्तावेजों की जांच की जाएगी, जो आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को चिन्हित करेगा। 

 इस बाबत अंतिम निर्णय गृह विभाग का होगा।  चिन्हित आंदोलनकारियों को प्रतीक चिन्ह एवं प्रमाणपत्र भी दिया जाएगा।  गृह विभाग ने इस वर्ष 25 फरवरी को लिए गए कैबिनेट के निर्णय के आलोक में इससे संबंधित संकल्प प्रकाशित किया है। 

अलग झारखंड आंदोलन के क्रम में जेल में मरे या 40 प्रतिशत से अधिक दिव्यांग हुए आंदोलनकारियों के आश्रितों के एक परिजन को सरकारी नौकरियों में सीधी भर्ती मिलेगी।  यह भर्ती तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरियों के लिए होगी।  सरकार इसके लिए पांच प्रतिशत का आरक्षण का प्रावधान करेगी।  इसका लाभ आंदोलनकारी के परिवार को जीवन में एक बार मिलेगा।