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कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी EPFO अपने सभी सब्सक्राइबर्स को इक्विटी निवेश के लिए विकल्प चुनने का मौका देने पर विचार कर रहा है। अभी तक ईपीएफओ के करोड़ों सब्सक्राइब के पास यह विकल्प नहीं है और EPFO ही अपने फंड मैनेजर्स के जरिए 15 परसेंट तक निवेश इक्विटी मार्केट में करता है।
दरअसल, PFRDA रेगुलेटेड नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) में लोगों का तेजी से रूझान बढ़ रहा है, क्योंकि नेशनल पेंशन स्कीम प्राइवेट कर्मचारियों से लेकर सरकारी कर्मचारियों को इक्विटी में निवेश करने का विकल्प देता है, और निवेश लिमिट तय करने की छूट भी मिलती है। नेशनल पेंशन स्कीम के तहत सब्सक्राइबर्स को इक्विटी निवेश में औसतन 12% तक का रिटर्न मिल रहा है।
इसलिए NPS की ही तर्ज पर EPFO भी अपने करोड़ों सब्सक्राइबर्स को बेहतर रिटर्न के लिए इक्विटी निवेश की लिमिट बढ़ाकर सब्सक्राइबर्स को कुल निवेश की लिमिट तय करने का मौका दे सकता है। हालांकि इसमें एक बात की संभावना ये है कि किसी भी स्थिति में अंशदान के 50 परसेंट से ज्यादा हिस्से को इक्विटी में निवेश करने की मंजूरी नहीं मिलेगी। अगर ऐसा हुआ तो कर्मचारियों को अपने EPFO निवेश का ज्यादा हिस्सा इक्विटी में निवेश करने का मौका मिलेगा, जिसका फायदा ज्यादा रिटर्न के रूप में मिलेगा।
आने वाले दिनों में सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की बैठक में कर्मचारी भविष्य निधि (EPFO) से जुड़े और भी कई बड़े फैसले लिए जा सकते हैं। अभी किसी कंपनी के कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 12 परसेंट एम्पलाई प्रॉविडेंट फंड (EPF) में जमा होता है, और कंपनी का मैनेजमेंट इसमें बढ़ोतरी कर सकता है, लेकिन ईपीएफओ का विचार है कि आने वाले दिनों में अब कर्मचारी को 12 परसेंट से ज्यादा अंशदान ईपीएफ में जमा कराने का विकल्प दिया जाएगा।
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