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गणेश चतुर्थी का त्योहार इसबार 10 सितंबर को मनाया जा रहा है। बच्चों के लिए तो यह त्योंहार और भी ज्यादा खास होता है क्योंकि उन्हें खूब मस्ती करने और मिठाईयां खाने का मौका मिलता है।
इस त्योहार पर आपको बच्चों के लिए बस एक फेस्टिवल नहीं रखना है बल्कि उन्हें कुछ सिखाना भी है। हिंदू पौराणिक कथाओं में गणेश जी को शिक्षा, बुद्धि, ज्ञान, कला का प्रतीक माना गया है और बच्चों के लिए उनसे बेहतर कोई और गुरु हो ही नहीं सकता है।
भगवान गणेश अपनी मां का आदेश मानने के लिए अपने ही पिता भगवान शिव से अनजाने में लड़ बैठे थे। इस वजह से भगवान शिव ने गणेश जी का मस्तक काट दिया था। गणेश जी की इस कहानी से पता चलता है कि वो किसी भी स्थिति में अपनी मां के आदेश की अवहेलना नहीं करते थे।
आप अपने बच्चों को गणेश जी की बहुत लोकप्रिय कथा सुना सकते हैं जिसमें उन्हें और उनके बड़े भाई कार्तिकेय जी को पृथ्वी के तीन चक्कर लगाने के लिए कहा था। इस दौरान गणेश जी ने अपने माता-पिता के ही तीन चक्कर लगा लिए और कहा कि उनके माता-पिता ही उनके लिए पूरा संसार हैं।
इस कहानी से यह भी सीखने को मिलता है कि हमें अपने पेरेंट्स और बड़ों का सम्मान करना चाहिए। गणेश जी से क्रिएटिव सोचने और मुश्किल घड़ी में कुछ हटकर सोचने का बढ़ावा मिलता है। इससे यह भी साबित होता है कि शारीरिक कमजोरी जिंदगी में कोई रुकावट नहीं है और आप अपनी बुद्धि और समझदारी से हर स्थिति से निपट सकते हैं।
ज्ञान के सागर से आप जीवन की हर मुश्किल और परिस्थिति से निपट सकते हैं। ज्ञान का हर जगह सम्मान किया जाता है। गणेश जी तो ज्ञान और शक्ति का प्रतीक हैं। पेरेंट्स इस काम में बच्चों की मदद कर सकते हैं। उन्हें नए-नए गेम सीखने के लिए दें और रीडिंग और क्रॉसवर्ड पजल आदि जैसे गेम सिखाएं। इससे बच्चों का दिमाग तेज होता है।
गणेश जी के टूटे हुए दांत की भी काफी दिलचस्प कहानी है। गणेश जी को महाभारत की कथा लिखनी थी जिसमें 1.8 मिलियन शब्द और हजारों कहानियां और उप-कहानियां थीं।
इस ग्रंथ को लिखने के लिए गणेश जी ने शर्त रखी थी कि वो बिना रूके लिखेंगे। व्यास जी कथा बोल रहे थे और गणेश जी की कलम टूट गई। चूंकि, गणेश जी ने वादा किया था कि वो रूकेंगे नहीं, इसलिए उन्होंने अपना दांत तोड़ा और उससे लिखने लगे।
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