महाराष्ट्र में पहली बार एक सेवारत डीजीपी रैंक के आईपीएस अधिकारी परमबीर सिंह (Param Bir Singh) को निलंबित (Param Bir Singh suspended) कर दिया गया है और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई है। इसकी घोषणा गुरुवार को की गई। सिंह मुंबई और ठाणे के पूर्व पुलिस आयुक्त भी हैं।

राज्य सरकार द्वारा 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी को निलंबित करने का निर्णय अतिरिक्त मुख्य सचिव देबाशीष चक्रवर्ती (Debashish Chakraborty) द्वारा प्रस्तुत एक जांच रिपोर्ट के आधार पर लिया गया है। परमबीर सिंह (Param Bir Singh) को नवंबर में मुंबई की एक अदालत ने ‘घोषित अपराधी’ करार दिया था। रिपोर्ट में अन्य बातों के अलावा, अखिल भारतीय सिविल सेवा नियमों की अवहेलना करने के लिए सिंह के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई थी। वह अपने कर्तव्य से अचानक अनुपस्थित रहने के बाद एक सप्ताह पहले (पिछले गुरुवार को) मुंबई में फिर से दिखे। इससे पहले, लगभग छह महीने के लिए पह ‘अनुपलब्ध’ हो गए थे।

संयुक्त सचिव (गृह) वेंकटेश भट द्वारा हस्ताक्षरित तीन पृष्ठों की रिपोर्ट गुरुवार शाम डीजीपी संजय पांडे (DGP Sanjay Pandey) के माध्यम से राज्य सरकार को भेजी गई। सरकार की ओर से कहा गया है, महाराष्ट्र सरकार सहमत है कि परमबीर सिंह  (Param Bir Singh) को अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन और अपील) नियम, 1969 के नियम 3 (1) और नियम 3 (3) के अनुसार निलंबित करना आवश्यक और वांछनीय है।  सिंह को मुंबई और ठाणे में दर्ज शिकायतों के साथ जबरन वसूली और भ्रष्टाचार से संबंधित कई मामलों का सामना करना पड़ रहा है। इनके खिलाफ जमानती और गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किए गए, जिन्हें बाद में रद्द कर दिया गया। साथ ही सरकार ने सिंह से जुड़े मामलों की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति के.यू. चांदीवाल की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन किया है।

सिंह को दिए गए निलंबन आदेश में उनके खिलाफ मुंबई के मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन और ठाणे जिले में बाजारपेठ पुलिस स्टेशन, कल्याण, कोपारी पुलिस स्टेशन और ठाणे नगर पुलिस स्टेशन में दर्ज मामलों की सूची है। राज्य सरकार अनुशासनात्मक कार्रवाई की कार्यवाही के तहत विभिन्न ‘अनियमितताओं और चूकों’ के साथ ही सिंह के ड्यूटी से लगातार गैरहाजिर रहने के कारण की भी जांच करेगी। राज्य के गृहमंत्री दिलीप वालसे-पाटिल ने पिछले हफ्ते संकेत दिया था कि सिंह के खिलाफ निलंबन की कार्यवाही चल रही है और अंत में आदेश पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के हस्ताक्षर होने के साथ उनके निलंबन की घोषणा की गई।