अफगानिस्तान के मौजूदा हालात को लेकर पूर्व विदेश मंत्री के नटवर सिंह ने बुधवार को कहा कि भारत को पहले ही तालिबान के साथ सार्वजनिक रूप से संवाद करना चाहिए था। उन्होंने आगे कहा कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत को 'देखो और प्रतीक्षा करो' का दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, यदि वे जिम्मेदार सरकार के रूप में काम करते हैं तो राजनयिक संबंध स्थापित करने पर विचार करना चाहिए।

सिंह, जो यूपीए-1 में विदेश मंत्री थे और अन्य वरिष्ठ राजनयिक पदों पर रहने के अलावा पाकिस्तान में भारत के राजदूत के रूप में भी काम कर चुके हैं। उन्होंने तालिबान को पहले से बेहतर बताया।  नटवर सिंह ने कहा कि भारत राष्ट्रपति अशरफ गनी के काफी करीब था जो कि भाग गए लेकिन अब स्थिति काफी बदल गई है। उन्होंने कहा कि स्थिति प्रतिकूल नहीं है, यहां तक कि दोस्ती की एक झलक भी गायब हो गई है इसलिए भारत सरकार बहुत सावधान है।

सिंह ने कहा कि अमेरिकियों को बहुत अधिक दोष लेना पड़ता है क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने सैनिकों को वापस बुलाकर तालिबान के लिए कदम बढ़ाना आसान बना दिया। उनकी यह टिप्पणी तालिबान विद्रोहियों की ओर से काबुल में अमेरिकी समर्थित अफगान सरकार के पतन के बाद और राष्ट्रपति गनी के रविवार को देश से भाग जाने के बाद आई है। यह पूछे जाने पर कि क्या भारत को तालिबान के साथ पहले संबंध बनाना चाहिए था, सिंह ने सकारात्मक जवाब दिया और समूह के साथ बातचीत करने के अमेरिकियों के उदाहरण का हवाला दिया।

मई 2004 से दिसंबर 2005 तक विदेश मंत्री रहे नटवर सिंह ने कहा कि अगर मैं विदेश मंत्री होता, तो मेरा उनसे संपर्क होता। मैं अपने रास्ते से हट जाता और अपनी खुफिया एजेंसी को चुपचाप संपर्क करने के लिए कहता। बता दें कि विदेश मंत्री की जिम्मेदारी संभालने के बाद नटवर सिंह ने कुछ साल बाद कांग्रेस को छोड़ दी। क्यूबा के साथ अमेरिकियों के संपर्क का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भारत को तालिबान के साथ जुड़ना चाहिए क्योंकि हम पाकिस्तान और चीन के लिए मैदान को खुला नहीं छोड़ सकते हैं। पूर्व मंत्री ने कहा कि कम से कम विदेश सचिव स्तर पर, भारत को तालिबान के साथ सार्वजनिक रूप से संपर्क रखना चाहिए था।