
देश में पहली बार किसी प्राईवेट कंपनी ने सेना के लिए गोला-बारूद बनाया है। मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नागपुर की एक प्राईवेट कंपनी द्वारा डीआरडीओ की मदद से तैयार किए एक लाख हैंड-ग्रेनेड थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे को सौंपे। मल्टी मोड हैंड ग्रेनेड प्रथम विश्व-युद्ध के उन ग्रेनेड्स की जगह लेंगे जो भारतीय सेना अभी तक इस्तेमाल करती आई थी।
मंगलवार को नागपुर में सोलर ग्रुप की इकोनॉमिक एक्सपलोसिव लिमिटेड कंपनी की फैक्ट्री में आयोजित हुए एक समारोह में रक्षा मंत्री ने थलसेना प्रमुख को इस मल्टी-मोड हैंड ग्रेनेड के एक मॉडल को सौंपा। इस दौरान डीआरडीओ प्रमुख, जी. सथीश रेड्डी भी मौजूद थे और कंपनी के बड़े अधिकारी भी मौजूद थे। कंपनी का दावा है कि डीआरडीओ के साथ हुए करार के मुताबिक, पहली खेप में एक लाख हैंड-ग्रेनेड सेना को सौंप दिए गए हैं। कंपनी को अगले दो साल में कुल 10 लाख हैंड-ग्रेनेड सेना को सौंपने हैं।
इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि एमएमएचजी-ग्रेनेड पब्लिक और प्राईवेट पार्टनरशिप का एक बड़ा उदाहरण है। क्योंकि ये ग्रेनेड ना केवल घातक है, बल्कि इस्तेमाल करने के लिहाज से भी बेहद सुरक्षित और विश्वसनीय है। ये डिफेंसिव और ओफेंसिवल दोनों तरीकों से काम करता है। इसकी सटीकता करीब 99 प्रतिशत है। रक्षा मंत्री ने कंपनी द्वारा मात्र पांच महीनों में ही एक लाख हैंड-ग्रेनेड तैयार करने को लेकर बधाई दी और कहा कि बाकी खेप और तेज गति से डिलीवर होगी।
दरअसल, पिछले साल यानी अक्टूबर 2020 में ईईएल कंपनी ने रक्षा मंत्रालय के साथ 10 लाख आधुनिक ग्रेनेड बनाने का करार किया था। ये ग्रेनेड थल सेना और वायुसेना दोनों को सौंपे जाने हैं। इसी साल मार्च में कंपनी को डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन यानी डीआरडीओ से बल्क-प्रोडक्शन की हरी झंडी मिली। ऐसे में कंपनी ने मात्र पांच महीनों में पहली खेप सौंप दी। इन आधुनिक हैंड ग्रेनेड्स का डिजाइन डीआरडीओ की टर्मिनल बैलेस्टिक रिसर्च लैब ने तैयार किया है।
बल्क प्रोडक्शन से पहले थलसेना ने ईईएल कंपनी के हैंड ग्रेनेड्स के पिछले तीन-चार सालों के दौरान कई बार ट्रायल किए थे। ये ट्रायल मैदानी इलाकों में, रेगिस्तान में, पहाड़ों पर गर्मी और सर्दी दोनों मौसम में किए गए थे। ट्रायल सफल होने के बाद ही कंपनी को मल्टी-मोड हैंड ग्रेनेड बनाने का मौका दिया गया था।
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