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दुनिया में धरती पर इंसानों के प्रत्येक मिनट में करीब 250 बच्चे पैदा होते हैं। लेकिन धरती पर समय बाद इंसान रह नहीं पाएंगे। क्योंकि धरती पर मौजूद जमीन की तुलना में आबादी ज्यादा हो जाएगी। फिलहला पृथ्वी पर मौजूद जमीन पर इंसानों के रहने का अनुपात प्रति वर्ग किलोमीटर 50 इंसानों का है। कुछ दशकों में लोग धरती पर रहने के लिए जगह नहीं पाएंगे, तब वो कहां जाएंगे। आसान सा जवाब है अंतरिक्ष में...चांद पर, स्पेस स्टेशन पर या फिर मंगल पर। इंसान तो जाएंगे लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये हैं कि अंतरिक्ष में कब पैदा होगा इंसान का पहला बच्चा? वैज्ञानिकों ने इसका खुलासा कर दिया है। आइए जानते हैं कि वो बच्चा कौन सा होगा, जिसके पास अंतरिक्ष में आने-जाने का स्पेस पासपोर्ट, स्पेस वीजा और ग्रहों की नागरिकता होगी?
अंतरिक्ष में इंसान के पहले बच्चे का जन्म अब ज्यादा दिन की बात नहीं है। वहां पर पैदा होने वाले बच्चे की खुशी ठीक वैसी ही होगी, जैसी खुशी इंसानों को अफ्रीका से निकलने के बाद हुई थी। जैसे ही किसी अंतरिक्ष में बने स्टेशन, चांद या मंगल पर इंसान का पहला बच्चा जन्म लेगा, ठीक उसी समय इस बात की घोषणा कर दी जाएगी कि अब इंसान बहु-ग्रहीय सभ्यता (Multi-Planet Civilization) की प्रजाति बन गया है। पिछली सदी का पहला आधा हिस्सा विभिन्न सरकारों द्वारा सैटेलाइट्स लॉन्च करने और इंसानों को चांद तक पहुंचाने में बीत गया। जिसे स्पेस ऐज (Space Age) की शुरुआत कहते हैं। लेकिन अब दुनियाभर में 100 से ज्यादा निजी स्पेस कंपनियां आ गई हैं। इन कंपनियों का वार्षिक राजस्व 300 बिलियन यूएस डॉलर्स है, यानी 21.74 लाख करोड़ रुपयों के आसपास। ये भारत के करीब 10 बड़े राज्यों के सालाना बजट के बराबर की राशि है।
टक्सन स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना के शोधकर्ता क्रिस इंपी ने बताया कि अभी अंतरिक्ष में होने वाली सारी गतिविधियों का केंद्र धरती ही रहती है। यहीं से सारा काम होता है। निर्देश भेजा जाता है। सैंपल की जांच की जाती है। लेकिन करीब 30 साल के बाद इंसान अंतरिक्ष में रहने लगेगा। इंसान जब अंतरिक्ष में रहेगा, तब वहां पर सिर्फ रिसर्च या काम ही तो करेगा नहीं। आराम भी करेगा। अंतरिक्ष में रहने वाले पुरुष और महिला आपस में संबंध बनाकर वहीं पर पहला बच्चा पैदा करेंगे यानी मानकर चलिए कि साल 2051 में या उसके आसपास।
अब मुद्दा ये है कि अंतरिक्ष में अपना प्रभुत्व जमाने के लिए कई देश, उनकी सरकारें और निजी कंपनियां लगी हुई हैं। तो क्या ये अंतरिक्ष में पहले इंसानी बच्चे को जन्म लेने में मदद करेंगी। अंतरिक्ष की खोज को लेकर सबसे पहले अमेरिका और सोवियत संघ में कई दशकों तक एक प्रतियोगिता चली। लेकिन जैसे ही नासा ने 1969 में चांद पर इंसान को उतारा, उसके बाद उसका बजट एक तिहाई कम कर दिया गया। सोवियत संघ भी दुनिया का बड़ा आर्थिक सुपर पावर नहीं रहा।
सोवियत संघ ने अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक पहला सैटेलाइट छोड़ा और इंसान को भेजा लेकिन उसका स्पेस प्रोग्राम धीरे-धीरे कमजोर होता चला गया। अब इस लड़ाई का नया योद्धा है चीन। चीन ने स्पेस मिशन में काफी देर से एंट्री मारी लेकिन भारी-भरकम बजट के साथ। चीन अपना स्पेस स्टेशन बना रहा है। हाल ही में उसके रोवर और प्रोब चांद और मंगल ग्रह पर उतरे हैं। चीन चांद पर अपना बेस बनाने की योजना भी बना रहा है। जिस तेजी से वह सफलता हासिल कर रहा है, कुछ दिन में वह ताकतवर स्पेस पावर बन जाएगा।
ध्यान देने वाली बात ये है कि सबसे अधिक सफलता अगर किसी इंसान ने इस क्षेत्र में हासिल की है, तो वो हैं एलन मस्क (Elon Musk)। उनकी निजी कंपनी स्पेसएक्स (SpaceX) इस समय नासा के साथ मिलकर काम कर रही है। स्पेसएक्स के नासा ने अर्टेमिस प्रोग्राम के तहत एस्ट्रोनॉट्स को चांद और मंगल पर ले जाने का प्रोजेक्ट दिया है। एलन मस्क चाहते हैं कि उनके यान से 100 इंसानों के चांद, मंगल और उसके आगे तक पहुंचाया जाए। हालांकि, उन्होंने अभी तक इसे लेकर कोई टाइमलाइन नहीं जारी किया है। दूसरे बड़े प्रतियोगी है जेफ बेजोस (Jeff Bezos)। इनकी कंपनी का नाम है ब्लू ओरिजिंस (Blue Origins)। ये भी सौर मंडल में कॉलोनी बनाना चाहते हैं। इनके प्लान बेहद मुश्किल लगते हैं, लेकिन याद रखने वाली बात ये है कि ये दोनों दुनिया के सबसे रईस लोगों में से एक हैं। विभिन्न देशों की सरकारें तो रॉकेट दागती रहेंगी लेकिन निजी कंपनियों द्वारा अंतरिक्ष के बाजार में उतरने की शुरुआत साल 2016 में हुई। जब पहली बार व्यवसायिक अंतरिक्ष उड़ानों ने दुनियाभर की एजेंसियों द्वारा अंतरिक्ष में भेजे गए सरकारी मिशनों को पिछाड़ दिया।
किसी भी अंतरिक्ष यान के लिए मंगल की यात्रा करना चांद की दूरी से 1000 गुना ज्यादा पड़ता है। इसलिए चांद ही इंसानों का पहला अंतरिक्षीय घर होगा। यहीं पर इंसानों की पहली स्पेस वाली बस्ती बनेगी। चीन और रूस मिलकर चांद के दक्षिणी धुर्व के पास साल 2036 से 2045 के बीच बेस स्टेशन बनाने की योजना बना रहे हैं। नासा चांद पर साल 2024 में फिर से इंसानों को भेजने की योजना बना चुका है। इस काम के लिए उनसे स्पेसएक्स को चुना है। अमेरिका वहां पर लूनर कॉलोनी बनाने की तैयारी में है। इसमें स्पेसएक्स धरती से सप्लाई पहुंचाने में मदद करेगा।
चांद के बाद आता है मंगल ग्रह। नासा और स्पेसएक्स यहां पर इंसानों को ले जाने की योजना की तारीख लगातार बढ़ाते जा रहे हैं। लेकिन नासा की योजना है अच्छी और भविष्य के हिसाब से है। हालांकि एलन मस्क साल 2050 में इंसानों को मंगल ग्रह तक पहुंचाने की बात कई जगहों और इंटरव्यू में कह चुके हैं। चांद पर इंसानों की बस्ती बनाना ज्यादा आसान होगा, मंगल ग्रह की तुलना में। इसमें दूरी और जटिल मौसम, पर्यावरण महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
धरती से मुक्त होकर जो इंसान सबसे पहले चांद, मंगल या अंतरिक्ष में रहने जाएंगे, उनके लिए वहां पर सबसे बड़ी जिम्मेदारी होगी आबादी बढ़ाने की। चांद या मंगल ग्रह पर रहना आसान नहीं होगा. यह काफी तनावपूर्ण काम होगा। हो सकता है कि कुछ महीनों या साल भर वहां रहने के बाद इंसान को अपना परिवार शुरु करने या बच्चे पैदा करने की जरूरत पड़े। लेकिन जैसे ही इंसान वहां स्थाई तौर पर रहना शुरु कर देगा, उसे फैमिली प्लानिंग के बारे में सोचना ही होगा। हालांकि, किसी महिला के प्रजनन संबंधी सेहत, भ्रूण के लिए अंतरिक्ष, चांद और मंगल जैसे माहौल ठीक नहीं हैं। वहां गुरुत्वाकर्षण शक्ति कम होती है, रेडिएशन और अन्य तरह की दिक्कतों का खतरा रहेगा।
वॉयजर स्टेशन पर 280 मेहमान और 112 क्रू-मेंबर रह सकेंगे। इसकी डिजाइन स्पिनिंग व्हील यानी घूमते हुए पहिए की तरह है, जो इसे गुरुत्वाकर्षण शक्ति प्रदान करेगी। खैर, नासा ने 12 अप्रैल 2021 को कहा था कि वह आम नागरिक को अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन ले जाना चाहती है। वहां पर उसको 10 दिन तक रखेगी और उसका फिल्म बनाएगी। हो सकता है कि यह आइडिया थोड़ा बदला जाए। कोई रईस जोड़ा अंतरिक्ष में छुट्टियां मनाने के मकसद से लंबी यात्रा पर जाए। वहीं पर संबंध बनाए, गर्भाधान करे और बच्चे की डिलीवरी भी। अभी तक अंतरिक्ष में किसी भी दो एस्ट्रोनॉट्स द्वारा सेक्स करने के प्रमाण नहीं हैं। जबकि, करीब 600 लोग धरती की कक्षा में यात्रा कर चुके हैं। इसमें दो एस्ट्रोनॉट्स ऐसे भी थे जो शादीशुदा थे। एकसाथ गए थे लेकिन उन्होंने किसी को ये बात पता नहीं चलने दी थी कि वो शादी कर चुके हैं।
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