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ग्वालियर के महाराजपुरा स्थित एयरफोर्स स्टेशन से एक साथ उड़ान भरने वाले दोनों लड़ाकू विमान 48 किलोमीटर दूर मुरैना के पहाड़गढ़ में ही दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे। मिराज-2000 तो पहाड़गढ़ में ही गिर गया, लेकिन सुखोई-30 उस स्थान से 90 किलोमीटर दूर भरतपुर जिले में दुर्घटनाग्रस्त हुआ। पहाड़गढ़ में ही सुखोई-30 के दोनों पायलट इजेक्ट कर गए, इसके बाद यहां से 90 किलोमीटर दूर तक बिना पायलट आग का गोला बना सुखोई-30 हवा में उड़ता रहा।
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इस बीच मुरैना, धौलपुर जैसे बड़ी आबादी वाले जिले थे, जहां लाखों लोग रहते हैं। अगर सुखोई-30 घनी आबादी वाले क्षेत्र में गिरता तो बड़ी अनहोनी हो सकती थी। गनीमत रही कि भरतपुर में रेलवे स्टेशन के पास पिंगोरा में खेत में यह विमान गिरा। आसमान में आग का गोला बनकर उड़ रहे सुखोई-30 को देखकर यहां रहने वाले लोग दहशत में आ गए। जहां यह विमान गिरा, वहां से कुछ ही दूरी पर रेलवे स्टेशन है और घनी बस्ती है। मिराज-2000 और सुखोई-30 ने एक साथ ही उड़ान भरी थी। अभ्यास के दौरान दोनों विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं।
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सुखोई को उड़ा रहे स्कवाड्रन लीडर विजय पाटिल और मिधुल पीएम पहाड़गढ़ में ही इजेक्ट कर उतरे। विमान 90 किलोमीटर तक कैसे बिना पायलट उड़ता रहा, इसे लेकर अभी वायुसेना की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। ग्वालियर से पहाड़गढ़ के बीच 48 किलोमीटर तक तो विमान ठीक रहे, यहां दोनों विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए और सुखोई भरतपुर में जाकर गिरा। ऐसा भी बताया गया है कि सुखोई-30 जलता हुआ हवा में उड़ रहा था। विमान के कुछ हिस्से अलग-अलग इलाकों में जलते गिरे हैं। 2336 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरता है सुखोई-30 - सुखोई-30 रूसी लड़ाकू विमान है। इसे अपग्रेड किया जा चुका है। यह भारतीय वायुसेना का प्रमुख लड़ाकू विमान है। इसे हिंदुस्तान एरोनाटिक्स लिमिटेड के सहयोग से बनाया गया है। यह 2336 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरता है।
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