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सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने बुधवार को स्पष्ट किया कि पति-पत्नी के बीच विवाद की दशा में बच्चों को जिम्मेदारी पिता पर रहेगी। यह जिम्मेदारी बच्चे के वयस्क होने तक रहेगी।
शीर्ष कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 (Article 142 of the Constitution) के तहत अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए परिवार न्यायालय व हाईकोर्ट द्वारा मंजूर एक दंपती के तलाक की पुष्टि करते हुए यह बात कही। सुप्रीम कोर्ट (SC) ने बच्चे के पिता से कहा कि वह बच्चे के भरण पोषण के लिए 50 हजार रुपये प्रति माह प्रदान करे।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि उक्त दंपती मई 2011 के बाद से साथ नहीं रह रहे हैं, इसलिए यह समझा जा सकता है कि शादी हमेशा के लिए टूट चुकी है।
जस्टिस एमआर शाह व जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने यह बात कही। पीठ ने कहा कि बच्चे के सैन्य अधिकारी पिता को उसके बालिग होने तक उसकी जिम्मेदारी उठाने के दायित्व से मुक्त नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि पति-पत्नी के बीच चाहे जो विवाद हो, लेकिन उसका खामियाजा बच्चे को नहीं भुगतना चाहिए। यह भी निर्विवाद है कि बच्चे को यह अधिकार है कि उसे उसके पिता के स्टेटस के अनुसार रखा जाना चाहिए। चूंकि मां की आय नहीं है और वह अपने मायके में जयपुर में रह रही है, इसलिए बच्चे की पढ़ाई, शिक्षा व अन्य खर्चों के लिए उचित राशि दी जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट (SC) ने प्रतिवादी पति को निर्देश दिया कि वह दिसंबर 2019 से बच्चे के लिए 50 हजार रुपये महीने के हिसाब से अपीलकर्ता पत्नी को राशि अदा करे। दिसंबर 2019 से नवंबर 2021 तक की बकाया राशि आज से आठ सप्ताह में प्रदान की जाए।
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