/fit-in/640x480/dnn-upload/images/2021/01/29/ghazipur-farmers-1611902939.jpg)
किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा होने और दिल्ली के लाल किले पर निशान साहिब का झंडा फहराने के बाद किसानों का आंदोलन नरम पड़ गया है। निराशा के साथ किसान फिर से पने घर को लौट ही रहे थे कि अजनाक से गाजीपुर बॉर्डर पर अलग ही किसानों का रूप देखने को मिला। वैसे को अब तक चार किसान संगठनों ने धरना खत्म कर दिया है। लेकिन गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों की जंग तैयार है। बॉर्डर पर आधी रात तक हाईवोल्टेज ड्रामा चलता जिस पर पुलिस और फोर्स दोनों की दंग रह गई।
राकेश टिकैत के एक प्रेस कॉन्फ्रेंस ने बॉर्डर का जो माहौल को बदला, वह बहुत ही चौंका देने वाला है। गाजियाबाद प्रशासन ने प्रदर्शनकारी किसानों को आधी रात तक यूपी गेट खाली करने का अल्टीमेटम दिया था जिससे किसान अपना बोरिया बिस्तर बांध रहे थे तभी किसान नेता राकेश टिकैत अपनी मांग पर अड़े रहते हुए कहा कि वह आत्महत्या कर लेंगे लेकिन आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान टिकैत फूट-फूटकर रोए। और कहा कि मैं अब पानी नहीं पीऊंगा। मैं केवल वही पानी पीऊंगा जो गांवों से किसानों द्वारा लाया गया है। किसान टिकैत के इन्हीं आंसूओं में बह गए और बॉर्डर पर फिर लौट आए।
बीकेयू प्रवक्ता राकेश टिकैत के गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों को लाने के बाद राष्ट्रीय लोक दल (RLD) के नेता जयंत चौधरी किसानों से मिलने के लिए धरना स्थल पर पहुंच गए हैं। जयंत चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार को किसानों की आवाज सुननी चाहिए और उनकी मांगें माननी चाहिए। आज संसद के बजट सत्र का पहला दिन है और ये मुद्दा संसद के अंदर भी उठेगा, जानकारी के लिए बता दें कि कांग्रेस सहित 15 राजनैतिक दलों ने राष्ट्रपति अभिभाषण का बहिष्का किया है। जयंत ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री सब विषयों पर बोलते हैं, किसान के बारे में भी बोल दें।
फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर हमसे जुड़ें |