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भारत में एक जगह कि किसान जादुई खेती करते हैं जिसको लेकर वो करोड़पति हो चुके हैं। यह बात उत्तर प्रदेश के हमीरपुर समेत बुन्देलखंड की है। यहां बंजर जमीन पर कैमोमाइल वनस्पति की खेती किसानों के लिये वरदान साबित हो रही है। इसे जादुई फूल कहते है जिससे असाध्य बीमारी छूमंतर होती है। कम लागत के साथ इसकी खेती के लिए अतिरिक्त सिंचाई की भी जरूरत नहीं पड़ती है।
हमीरपुर जिले के मुस्करा ब्लॉक के चिल्ली गांव में 70 फीसदी किसान इस कैमोमाइल की खेती कर रहे हैं। इन दिनों खेतों में कैमोमाइल के फूल भी खिले हैं। जिन्हें देख किसान उत्साहित हैं। ब्रम्हानंद बॉयो एनर्जी फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी की सीईओ सैफाली गुप्ता ने बताया कि कैमोमाइल एक वनस्पति है जिसका आयुर्वेद में बहुत महत्व है। इस पौधे को जादुई फूल भी कहा जाता है। कैमोमाइल की खेती बुन्देलखंड के किसानों की आर्थिक स्थिति के लिए अब वरदान साबित हो रही है। बुन्देलखंड के हमीरपुर, ललितपुर समेत अन्य जिलों में कैमोमाइल की खेती को बढ़ावा देने वाले जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी धर्मजीत त्रिपाठी ने बताया कि झांसी के चार ब्लाकों के तमाम गांवों में किसान इस वनस्पति की खेती कर रहे है। जबकि हमीरपुर के अलावा महोबा और चित्रकूट में भी अब किसानों ने जादुई फूलों की खेती की तरफ कदम बढ़ाए है।
बताया कि यह निकोटीन रहित होता है। जो पेट के लिए लाभदायक है। इसका फूल सादगी, सुन्दरता व शांति का प्रतीक है। निश्चित ही इसकी खेती की बुन्देलखंड में असीम संभावनाएं है। होम्योपैथिक चिकित्सक डाँ. कुंवर पाल सिंह ने बताया कि जादुई फूल त्वचा के लिए बड़ा ही गुणकारी होता है। अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, घबराहट, जलन में इसका सेवन करने से बड़ा फायदा मिलता है। चोट, मोच, खरोंच, घाव, रैसेज, पेट के विकारों के इलाज में ये फूल काम आता है।
ब्रम्हानंद बायो एनर्जी फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी के शेयर होल्डर चन्द्रशेखर तिवारी ने बताया कि चिल्ली, धनौरी, पहरा सहित की गांवों में जादुई फूल की खेती किसान कर रहे है। बंजर जमीन पर इसकी खेती कर किसान अब आर्थिक रूप से लगातार मजबूत हो रहे है। किसान ने बताया कि इसकी खेती में दस से बारह हजार रुपए का खर्चा आता है। लेकिन इसकी खेती से किसान को छह माह में ही 1.80 लाख रुपए की आमदनी हुई है। कम लागत में अच्छा मुनाफा होने के कारण अब किसान जादुई की खेती की तरफ रुख किया है।
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