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हरियाणा के करनाल में किसान नेताओं और पुलिस-प्रशासनिक अफसरों के बीच सवा तीन घंटे चली वार्ता विफल हो गई। बातचीत में सहमति नहीं बन पाई। इस दौरान दो दौर में बातचीत हुई. पहले दौर की वार्ता में डीसी-एसपी ने प्रशासनिक टीम का नेतृत्व किया और दूसरे दौर में रेंज कमिश्नर की अगुवाई में प्रशासन ने बातचीत की।
भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने मीटिंग से बाहर निकल कर कहा कि प्रशासनिक टीम ने हर आधे घंटे बाद चंडीगढ़ बात की। हमारी मांग थी कि आईएएस आयुष सिन्हा को सस्पेंड कर केस दर्ज किया जाए।
प्रशासनिक टीम केस दर्ज करना तो दूर सस्पेंड करने के लिए भी तैयार नहीं है। टिकैत ने कहा कि हमारा एक मोर्चा दिल्ली बॉर्डर पर है और अब दूसरा करनाल सचिवालय पर जारी रहेगा।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसान नेताओं ने कहा कि जिला सचिवालय पर किसान डटे रहेंगे। अफसरों को मुख्य गेट से नहीं जाने देंगे, वे चाहे किसी रास्ते या फिर दीवार कूद कर सचिवालय के भीतर जाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा कि यहां आने वाले आम आदमी को किसी प्रकार की परेशानी न आए। प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसान नेता राकेश टिकैत, गुरनाम चढूनी और योगेंद्र यादव ने किसानों का पक्ष रखा।
प्रशासन की तरफ से न्यौता मिलने के बाद राकेश टिकैत, गुरनाम चढूनी, योगेंद्र यादव और सुरेश कौथ समेत 11 किसान नेता प्रशासन से वार्ता के लिए पहुंचे थे। पुलिस-प्रशासनिक अफसरों के साथ किसान नेताओं की बातचीत हुई।
प्रशासन ने धरने पर बैठे किसानों को दोपहर 2 बजे वार्ता के लिए बुलाया था। इससे पहले किसानों ने बुधवार को निर्मल कुटिया और जाट भवन होकर सचिवालय जाने वाले रास्ते पर लगाए बैरिकेड हटवा दिए। हजारों किसान बसताड़ा टोल पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में सचिवालय का घेराव कर धरने पर बैठे हैं।
जिला प्रशासन ने बुधवार को त्रञ्ज रोड से सचिवालय जाने वाले रास्ते पर निर्मल कुटिया के पास फिर बैरिकेडिंग कर दी थी। साथ ही जाट भवन होकर सचिवालय जाने वाले मार्ग पर भी अवरोधक लगा दिए थे। बुधवार सुबह से दोनों रास्ते खुले थे।
प्रशासन के आदेश पर 11 बजे के बाद यहां बैरिकेडिंग हुई थी। बैरिकेडिंग की सूचना पर किसान मौके पर पहुंचे और पुलिस से नाके खोलने के लिए कहा। इसके बाद दोनों जगह से ट्रक और बैरिकेड को हटा दिया गया।
उधर, किसान मंगलवार की पूरी रात बैठे रहे. बुधवार के दिन की शुरुआत भी नारेबाजी के साथ की। धरनास्थल पर किसानों ने टेंट गाड़ लिए हैं। यह उनका अनिश्चितकालीन धरना है। लघु सचिवालय के गेट पर पैरामिलिट्री फोर्स और पुलिस के जवान तैनात हैं। इन्हें किसानों को किसी भी कीमत पर अंदर न जाने देने के आदेश दिए गए हैं।
किसानों ने भी सचिवालय में आवाजाही रोकी हुई है. उनका कहना है कि वे न तो किसी को अंदर जाने देंगे और न ही कोई काम होने देंगे. शहर में आवाजाही सचारू रूप से बहाल कर दी गई है। अब किसी को कहीं आने-जाने में दिक्कत नहीं होगी, लेकिन लघु सचिवालय न आने की अपील की गई है, क्योंकि यहां होने वाले सभी काम बाधित हो सकते हैं।
दरअसल, किसानों ने किसी भी अधिकारी को लघु सचिवालय में प्रवेश न करने देने का ऐलान किया है। उधर, प्रशासन की तरफ से भी अभी तक आमजन व कर्मचारियों के कामकाज को लेकर कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए गए हैं। लघु सचिवालय में बने कार्यालयों में रोजाना 5000 लोग पहुंचते हैं, लेकिन अपील है कि सचिवालय के कामकाज के लिए जरूरी न हो तो आज न आएं।
लघु सचिवालय में डीसी, एसपी, एसडीएम, ई-दिशा केंद्र, सीएम विंडो, तहसील, ट्रेजरी, एडीसी, डीआरओ, डीडीपीओ, डीईओ, निर्वाचन आयोग, श्रमिक कार्यालय हैं। इसके अलावा बैंक, समाज कल्याण, जिला कल्याण, और रोजगार विभाग भी हैं।
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