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26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह में किसान किसी भी तरह का व्यवधान नहीं डालेंगे। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष रतन सिंह मान ने कहा कि गणतंत्र दिवस साधारण दिन नहीं है। यह वह दिन है जब देश को पूर्ण रूप से स्वतंत्रता की प्राप्ति हुई थी। भले ही देश 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हो गया था, लेकिन यह पूर्ण रूप से स्वतंत्र तब हुआ जब 26 जनवरी 1950 के दिन 'भारत सरकार अधिनियम' को हटाकर भारत के नवनिर्मित भारतीय संविधान को लागू किया गया। इस दिन से 26 जनवरी के इस दिन को भारत में गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। यह एक महान पर्व है।
प्रदेश अध्यक्ष रतन मान ने भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं से अपील करते हुए कहा कि 26 जनवरी को प्रदेश में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में किसी भी प्रकार का व्यावधान न डाला जाए, क्योंकि यह दिवस असंख्य कुर्बानियां देने के बाद हमें प्राप्त हुआ है। मान ने कहा कि 26 जनवरी का कार्यक्रम कोई राजनीतिक कार्यक्रम नहीं होता, ऐसे में नाराजगी जाहिर करना या देश की शान में आयोजित समारोह में व्यावधान डालना उचित नहीं है। देश के सभी नागरिकों के लिए यह गर्व का दिन है, इसलिए सभी किसान भाइयों से अपील है कि सभी किसान इस दिवस को गौरवशाली तरीके से मनाएं और सरकारी आयोजनों में किसी तरीके का व्यावधान न डालें।
उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानूनों को लेकर किसान आंदोलन बदस्तूर जारी रहेगा और जब तक हमारी मांगे नहीं मानी जाती तब तक किसान आंदोलन करते रहेंगे। 26 जनवरी के कार्यक्रम का विरोध किया जाना किसी भी स्तर पर उचित नहीं है। किसान देशभक्त हैं, इसलिए गणतंत्र दिवस समारोह के भव्य आयोजनों में बाधा नहीं बनेगा। रतन मान ने चेतावनी देते हुए कहा कि किसानों की आड़ में किसी राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ता या असामाजिक तत्व देश की गरिमा को ठेस पहुंचाने की चेष्टा करेंगे तो किसान यूनियन उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करती है।
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