
असम में मतदाताओं की न्यूनतम संख्या ने पहली बार अपनी चुनी हुई पहचान के तहत अपने मताधिकार का प्रयोग किया। राज्य में रजिस्टर्ड 491 ट्रांसजेंडर के मतदाताओं में से 24 ने तीन चरण के लोकसभा चुनाव में अपना वोट डाला। असम की पहली ट्रांसजेंडर जज स्वाति बिधान बरूआ ने कहा कि उन्हें 'पुरुष' श्रेणी के तहत अपना वोट डालने के लिए मजबूर किया गया था, क्योंकि उसने अपने दस्तावेजों को सुधारा नहीं था। बरुआ के मुताबिक ट्रांस समुदाय में मतदाताओं की कमी है क्योंकि कई चुनावी कार्ड के लिए आवेदन पत्र में जेंडर विकल्प को नहीं बदला पाए हैं। इस तरह की समस्या समाज में जागरूकता की कमी के कारण है कि वे अपनी पसंद के लिंग के तहत मतदान क्यों नहीं कर सकते।
बरुआ ने कहा कि मैं ट्रांसजेंडर विकल्प के तहत मतदान करना चाहता था, लेकिन नहीं कर सका। मैंने मुख्य चुनाव अधिकारी के कार्यालय से निवेदन किया था कि मेरे दस्तावेजों को लिंग के चुनाव के लिए सुधारा जा सके, लेकिन मुझे आम चुनाव के बाद आने के लिए कहा गया था। असम के मुख्य निर्वाचन अधिकारी मुकेश साहू मीडिया को बताया कि इस संबंध में किसी ने उनसे व्यक्तिगत रूप से संपर्क नहीं किया। साहू ने कहा कि लिंग सुधार के लिए मेरे पास कोई नहीं आया। लेकिन अगर कोई अपना नाम सही करवाना चाहता है, तो वे फॉर्म में ही ऐसा कर सकते हैं - वे बूथ स्तर के अधिकारी (बीएलओ), निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) के माध्यम से अपने निर्वाचन क्षेत्र या ऑनलाइन प्रक्रिया से कर सकते हैं।
बरुआ ने कहा कि ट्रांस समुदाय के उसके दोस्त एक अलग कतार में खड़े थे लेकिन 'पुरुष' श्रेणी के तहत मतदान किया था। आपको बता दें कि 2011 की जनगणना के अनुसार, असम में ट्रांसजेंडर की आबादी 11,374 है। अकेले गुवाहाटी में, एलजीबीटी और समुदाय के लगभग 5,000 लोग हैं। इस बार थर्ड जेंडर की श्रेणी में से 11 ने प्रथम चरण में मतदान किया, दूसरे चरण में पांच और आम चुनाव के तीसरे चरण में आठ अन्य ने। असम में कुल मतदान प्रतिशत 81.52% दर्ज किया गया - पुरुष मतदाता 81.73%, महिला मतदान 81.30% और 4.89% तृतीय लिंग मतदान हुआ।
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