नई दिल्ली। उद्धव ठाकरे को एकनाथ शिंदे लगातार झटके दे रहे हैं. शिंदे ने बगावत कर पिछले साल उद्धव ठाकरे से सत्ता छीन ली थी. अब चुनाव आयोग के फैसले के तहत बाद उद्धव ठाकरे शिवसेना और पार्टी के चिन्ह धनुष-बाण को भी खो बैठे हैं. हालांकि, अब इस फैसले के बाद उद्धव गुट सुप्रीम कोर्ट जा रहा है. 

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शिंदे गुट के हौसले बुलंद

दूसरी तरफ देखें तो चुनाव आयोग के फैसले के बाद एकनाथ शिंदे गुट के हौसले बुलंद हो गए हैं. विधान भवन में शिवसेना के जिस कार्यालय पर कभी उद्धव ठाकरे की धमक होती थी अब वह भी उनके हाथ से निकल गया है. माना जा रहा है कि इसके अलावा अब शिवसेना के राष्ट्रीय कार्यालय, बीएमसी में शिवसेना के कार्यालय समेत सारी संपत्तियां भी उद्धव गुट से छिन सकते हैं

191 करोड़ की चल -अचल संपत्ति

एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार 2020-21 तक शिवसेना के पास 191 करोड़ की चल -अचल संपत्ति थी. अब सवाल ये है कि क्या एकनाथ शिंदे जिसे कोषाध्यक्ष बनाएंगे, उसके हस्ताक्षर से इस संपत्ति का संचालन होगा. इस मतलब ये है कि उद्धव ठाकरे को पार्टी चलाने के लिए पैसों का संकट होने वाला है. आपको बता दें कि महाराष्ट्र राज्य में 82 जगहों पर शिवसेना के बड़े कार्यालय और मुंबई में 280 छोटे-छोटे कार्यालय हैं. इन पर कब्जे को लेकर भी जंग होने जा रही है. इतना ही नहीं बल्कि दादर में शिवसेना का कार्यालय और पार्टी के मुखपत्र सामना के स्वामित्व को लेकर भी सवाल उठ रहे है.

उद्धव ने बताया गद्दार

दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग के फैसले के बाद कहा कि वे दुखी हैं. उन्होंने कहा कि गद्दारों ने मां स्वरुप शिव सेना पार्टी की पीठ में छुरा घोंपा है, हमने उन्हें एक परिवार माना, लेकिन हमें नहीं पता था कि वे अपनी मां को मारने के लिए सुपारी लेंगे. वो देश में तानाशाही और अराजकता लाना चाह रहे हैं. लेकिन मैं उन्हें ऐसा नहीं करने दूंगा.

संपत्ति और फंड का लालच नहीं

इसको लेकर सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा है कि उद्धव सेना की किसी भी संपत्ति पर दावा नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि हमें पार्टी की संपत्ति और फंड का लालच नहीं है. हम बाला साहेब ठाकरे की विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं. इसी वजह से उद्धव सेना से अलग होने का कदम उठाया गया.

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उद्धव गुट पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

अब चुनाव आयोग के इस फैसले के खिलाफ उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट जाने का मन बनाया है. इस याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट राजी भी हो गया है. उद्धव गुट की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि पहले ही उद्धव गुट के कार्यालय पर कब्जा हो चुका है. यदि सुनवाई नहीं की गई तो बैंक अकाउंट्स भी छीन लिए जाएंगे. सिब्बल का कहना है कि चुनाव आयोग का आदेश सिर्फ विधान सभा के 33 सदस्यों पर आधारित है.