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इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि अगले 20 साल में धरती का तापमान निश्चित तौर पर 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा। ऐसा जलवायु परिवर्तन की वजह से होगा। इस रिपोर्ट में 195 देशों से जुटाए गए मौसम और प्रचंड गर्मी से संबंधित आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है। इतना ही नहीं इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जो प्रचंड गर्मी पहले 50 सालों में एक बार आती थी, अब वो हर दस साल में आ रही है। यह धरती के गर्म होने की शुरुआत है।
IPCC की इस रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने कहा है कि पिछले 40 सालों से गर्मी जितनी तेजी से बढ़ी है, उतनी गर्मी 1850 के बाद के चार दशकों में नहीं बढ़ी थी। साथ ही वैज्ञानिकों ने चेतावनी भी दी है कि अगर हमनें प्रदूषण पर विराम नहीं लगाया तो प्रचंड गर्मी, बढ़ते तापमान और अनियंत्रित मौसमों से सामाना करना पड़ेगा। इस रिपोर्ट के प्रमुख लेखक और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक फ्रेडरिके ओट्टो ने कहा कि जलवायु परिवर्तन भविष्य की समस्या नहीं, बल्कि अभी की दिक्कत है। यह पूरी दुनिया के हर कोने पर असर डाल रही है। भविष्य में तो और भी भयानक स्थिति बन जाएगी अगर ऐसा ही पर्यावरण रहा तो।
अगर प्रदूषण का स्तर इसी तरह से बढ़ता रहा, जलवायु परिवर्तन को रोका नहीं गया तो साल 2100 तक औसत तापमान में 4.4 डिग्री सेल्सिय की बढ़ोतरी हो जाएगी। अगर इतना तापमान बढ़ेगा तो आर्कटिक, ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका के ग्लेशियर और बर्फीली चट्टानें बहुत तेजी से पिघलेंगी। साल 2015 के पेरिस समझौते के तहत पांच बड़ी मुसीबतें खड़ी हो सकती हैं, अगर तापमान वृद्धि को नहीं रोका गया। अगले 20 सालों में तापमान में औसत वृद्धि 1.5 डिग्री सेल्सियस की होगी। इससे पेरिस समझौते के लक्ष्य की पूर्ति नहीं हो पाएगी। यानी पूरी दुनिया तापमान रोकने में असफल हो जाएगी।
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