हाल ही में खबर आई है कि गुजरात के द्वाराधीश मंदिर पर आकाशीय बिजली गिरी है जिसका वीडियो भी काफी वायरल रहा है। लेकिन बिजली गिरने के बावजूद मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ। हालांकि मंदिर पर लगी ध्वजा थोड़ी सी फट गई है। हिंदू धर्म में द्वारकाधीश के मंदिर का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। यह हिंदूओं के चारों धामों में से एक धाम है। यहां पर भगवान द्वारकाधीश की पूजा की जाती है। द्वारकाधीश का शाब्दिक अर्थ है द्वारका का राजा।

गुजरात राज्य में गोमती नदी के तट पर स्थित द्वारकाधीश का यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है। इसे अर्थात द्वारकाधीश के मंदिर को, बदरीनाथ, रामेश्वरम और जगन्नाथ पुरी के साथ भगवान नारायण के चार पवित्र तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है। मान्यता है कि द्वापर युग में भगवान कृष्ण की राजधानी थी।

द्वारकाधीश मंदिर में ध्वजा पूजन का विशेष महत्व होता है। इस मंदिर पर 52 गज की ध्वजा फहराती रहती है। मंदिर के शिखर पर ध्वज हमेशा पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर लहराता रहता है। इसे 52 गज ध्वजा भी कहा जाता है। यह भारत का अकेला ऐसा मंदिर है, जहां दिन में तीन बार 52 गज की ध्वजा चढ़ाई जाती है। श्रद्धालुओं के बीच इस ध्वजा को लेकर इतनी श्रद्धा और भक्ति है कि उसे चढ़ाने के लिए कई बार तो इन्हें दो साल तक का इंतजार करना पड़ता है।

द्वारकाधीश के मंदिर पर लगे ध्वज में सूर्य और चंद्रमा का प्रती‍क चिह्न बना होता है। इसके पीछे यह मान्यता है कि जब तक इस धरती पर सूर्य चंद्रमा रहेंगे तब तक द्वारकाधीश का नाम रहेगा। सूर्य और चंद्रमा को भगवान श्री कृष्ण का प्रतीक माना जाता है। इस लिए द्वारकाधीश मंदिर के शिखर पर सूर्य चंद्र के चिह्न वाले ध्वज लहराते हैं।