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त्रिपुरा के सीमावर्ती धलाई जिले के रत्नानगर गांव और अन्य इलाकों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं होने से ग्रामीणों को मजबूरी में तालाबों और खुले स्रोतों का पानी पड़ रहा है और इसकी वजह से वे गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन उन्हें साफ पीने का पानी मुहैया कराने में नाकाम रहा है और उन्हें दूषित पानी पीना पड़ रहा है । इस बारिश के सीजन में स्थिति और भी खराब हो गई है क्योंकि पानी के स्रोत पूरी तरह दूषित हो गए हैं और लोगों को संक्रामक बीमारियों का शिकार होना पड़ रहा है। भारत - बंगलादेश सीमा पर स्थित रत्नानगर गांव में अधिकतर त्रिपुरी और चकमा आदिवासी रहते हैं और इन लोगों को आधारभूत सुविधाओं के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि आज भी हम लोगोंं को पीने के पानी के लिए तरसना पड़ रहा है और साफ पेयजल तथा बेहतर सड़कें हमारे लिए एक सपने की तरह ही हैं। दूषित पानी पीने के कारण ग्रामीण संक्रामक बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं और प्रशासन के पास इसका कोई स्थायी समाधान नहीं है। इस गांव में 600 परिवार हैं और इन्हें जीवन की आधारभूत सुविधाओं के लिए भी तरसना पड़ रहा हैं।
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