भारत में अब DRDO के साथ मिलकर प्राइवेट कंपनियां भी हथियार बनाएंगी। DRDO ने निजी कंपनियों को मिसाइल के विकास और उत्पादन में साथ काम करने की अनुमति दे दी है। इसके पीछे मकसद देश में मिसाइल का घरेलू बाजार बनाना है। DRDO ने कहा कि इससे स्वदेशी मिसाइलें बनेंगी और आत्मनिर्भर भारत मिशन को आगे बढ़ाया जाएगा।

DRDO के मुताबिक इस प्रोजेक्ट का नाम डेवलपमेंट कम प्रो़डक्शन पार्टनर प्रोग्राम (DCCP) है। निजी कंपनियां इसके तहत DRDO के साथ मिलकर मिसाइल बनाने का काम कर सकती हैं। एक बार निजी कंपनियां DRDO के साथ जुड़ जाएंगी तब उनसे सबसे पहले वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (VL-SRSAM) पर काम कराया जाएगा। कुछ निजी कंपनियों ने इस मिसाइल के लिए पहले से रिक्वेस्ट और प्लान दे रखा है।

23 फरवरी को DRDO ने ऐसी ही एक मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। इस मिसाइल ने अपने निशाने को तय समय में नेस्तानाबूत कर दिया। शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (VL-SRSAM) पूरी तरह से स्वदेशी मिसाइल है। इसे भारतीय नौसेना के लिए बनाया जा रहा है, ताकि नौसेना आसमानी हमलों को मुंहतोड़ जवाब दे सके। इस मिसाइल का परीक्षण कम से कम और अधिकतम रेंज के लिए किया गया था।