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हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष की बड़ी अहमियत होती है। इस दौरान पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए धर्म-कर्म किए जाते हैं। बता दें कि इस साल इस साल 20 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो रहा है जो अगले 15 दिन यानी 2 अक्टूबर तक चलेगा। बता दें कि पूर्वजों के निधन की तिथि के दिन तर्पण किया जाता है. पूर्वज का पूरे साल में किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की तिथि के दिन निधन होता है, पितृ पक्ष की उसी तिथि के दिन उनका श्राद्ध किया जाता है।
भाद्रपद पूर्णिमा के दिन सिर्फ उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है जिनका निधन पूर्णिमा तिथि के दिन हुआ हो। यदि पूर्वजों के निधन की तिथि पता न हो तो शास्त्रों के मुताबिक उनका श्राद्ध अमावस्या के दिन करना चाहिए। वहीं किसी अप्राकृतिक मौक जैसे आत्महत्या या दुर्घटना का शिकार हुए परिजन का श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। वैसे बता दें कि श्राद्ध पक्ष के दौरान कुछ कार्य करने वर्जित होते हैं। ऐसे में इस दौरान भूलकर भी ऐसा काम नहीं करने चाहिए।
- पितृ पक्ष के दौरान शाकाहारी भोजन का ही सेवन करना चाहिए। अगर आप नॉन-वेज और शराब आदि का सेवन करते हैं तो यह पीतरों की नाराजगी का कारण बन सकता है।
- घर का जो सदस्य पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म करता है उसे इन दिनों में बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए।उसे ब्रह्मचर्य का पालन भी करना चाहिए।
- जब भी श्राद्ध कर्म करें तो इस बात का ध्यान रखें कि यह कार्य हमेशा दिन में हो। सूर्यास्त के बाद श्राद्ध करना अशुभ माना जाता है।
- पितृ पक्ष में अगर कोई जानवर या पक्षी आपके दरवाजे पर आए तो उसे भोजन जरूर कराना चाहिए। मान्यता है कि पूर्वज इस रूप में आपसे मिलने आते हैं।
- पितृ पक्ष में कभी भी जानवरों या पक्षी को सताना या परेशान नहीं करना चाहिए।
- अगर आप पितृ पक्ष में पत्तल पर भोजन करें और ब्राह्राणों को पत्तल में भोजन कराएं तो यह फलदायी होता है।
- मान्यता है कि इन दिनों में लौकी, खीरा, चना, जीरा और सरसों का साग नहीं खाना चाहिए।
- पितृ पक्ष में शादी, मुंडन, सगाई जैसे कोई भी शुभ कार्य बिलकुल भी नहीं करना चाहिए। न ही कोई चीज खरीदनी चाहिए।
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