
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को भारत की आजादी
के संघर्ष में ऐतिहासिक भूमिका निभाने वाली कविता 'वंदे मातरम' को 'जन गण
मन' के साथ 'समान' दर्जा देने वाली याचिका पर केंद्र को अपना रुख बताने को
कहा।
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भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर
जनहित याचिका (पीआईएल) में केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार सहित उत्तरदाताओं
को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने का अदालत आग्रह किया गया है कि
'जन गण मन' और 'वंदे मातरम' प्रत्येक कार्य दिवस पर शिक्षण संस्थानों और
सभी स्कूलों में बजाए और गाए जाएं। मामले में नोटिस जारी करते हुए
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की
अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने केंद्र सरकार को छह सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल
करने का निर्देश दिया।
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उपाध्याय की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने मामले की सुनवाई के लिए नौ नवंबर की तारीख तय की।
सुनवाई
के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि कोई दिशा-निर्देश नहीं हैं और 'वंदे
मातरम' विकृत तरीके से बजाया जा रहा है जो संविधान सभा में डॉ राजेंद्र
प्रसाद द्वारा दिए गए बयान के विपरीत है। जनहित याचिका में कहा गया
है कि 24 जनवरी, 1950 को संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद ने कहा
था, एक मामला है जो चर्चा के लिए लंबित है, वह है राष्ट्रगान का सवाल। एक
मामला है जो चर्चा के लिए लंबित है, वह है राष्ट्रगान का सवाल। एक समय यह
सोचा गया था कि इस मामले को सदन के समक्ष लाया जा सकता है और सदन द्वारा एक
संकल्प के रूप में लिया गया निर्णय लिया जा सकता है, लेकिन यह महसूस किया
गया है कि संकल्प के माध्यम से औपचारिक निर्णय लेने के बजाय, राष्ट्रगान के
संबंध में एक बयान देना बेहतर है।
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