वर्क फ्रॉम होम और सोशल डिस्टेंसिंग के दौर में नहाने से परहेज तो किसी को नहीं है, लेकिन बहुत से लोगों ने इसमें कमी की है। ऐसा इसलिए क्योंकि अब न तो साथियों के बीच रहकर काम करना है जो आपकी गंध उन्हें परेशान करे, न ही रोज ऑफिस या स्कूल जाने की जरुरत है। 

डॉक्टरों की एक नई रिसर्च के अनुसार दैनिक स्नान न करने से स्वास्थ्य पर किसी तरह के बड़े प्रभाव का कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के हार्वर्ड हेल्थ पब्लिशिंग के वरिष्ठ संकाय संपादक डॉ. रॉबर्ट एच. शिर्लिंग के अनुसार रोजाना नहाना वास्तव में लाभ से ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है। इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यून सिस्टम को इम्यून मेमोरी विकसित करने और उसके अनुसार संकेत मिलते ही अपनी पूरी क्षमता से काम करने के लिए कुछ सीमा तक वातावरण में गंदगी, सूक्ष्मजीवों और अन्य जोखिमों की आवश्यकता होती है। यही कारण है कि कुछ त्वचा विशेषज्ञ और बाल रोग विशेषज्ञ बच्चों को रोज न नहलाने की सलाह देते हैं। क्योंकि यह हमारे चारों ओर मौजूद वातावरण में मौजूद बैक्टीरिया और हानिकारक धूलकणों का सामना करने की शरीर की क्षमता को कम करता है।

डॉ. रॉबर्ट का कहना है कि रोज नहाने का सबसे ज्यादा असर हमारी त्वचा पर पड़ता है। रोज नहाने से त्वचा में जलन, सूखापन, खुजली जैसी समस्या हो सकती है क्योंकि ऐसा करने से हमारी त्वचा का प्राकृतिक ऑयल कम हो जाता है। इसके चलते खराब फटी और बेहद शुष्क त्वचा बैक्टीरिया और एलर्जी का कारण बन सकती है, जिससे एलर्जी और त्वचा में संक्रमण भी हो सकता है। वहीं नहाते समय एंटी-बैक्टीरियल साबुन का इस्तेमाल करने से शरीर को लाभ पहुंचाने वाले सामान्य जीवाणु भी नष्ट हो जाते हैं। इससे त्वचा पर ऐसे जीवों की संख्या बढ़ जाती है जो एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति अधिक प्रतिरोधी हैं।

अपने अध्ययन में डॉ. रॉबर्ट ने कहा है कि हमें अपने पेशे को ध्यान में रखकर रोज नहाने की आदत को संतुलित करना चाहिए। बेस्ट ऑफ लाइफ के अनुसार, जिन लोगों का वायरस, फफूंदी और बैक्टीरिया के करीब रहने वाले डॉक्टरों, हेल्थकेयर वर्कर्स, पैरामेडिक्स, कंस्ट्रक्शन वर्कर्स, प्लंबर और एथलीटों से नजदीकी संपर्क है, उन्हें रोजाना नहाना चाहिए। इसी तरहए जो लोग नियमित रूप से व्यायाम करते हैं और बहुत पसीना बहाते हैं, उन्हें भी हमारी त्वचा पर बैक्टीरिया को तेजी से बढऩे से रोकने के लिए रोज नहाना चाहिए। बाकी सामान्य काम करने वाले लोगों को रोज नहाने की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन महत्वपूर्ण अंगों को साफ रखें। 

त्वचा विशेषज्ञ डॉ. सैंडी स्कॉटनिक का सुझाव है कि लोग नियमित रूप से अपनी बगलों, पैरों और कमर पर साबुन लगाएं जहां की त्वचा सबसे ज्यादा संवेदनशील होती है और बैक्टीरिया एवं फंगस के बढ़ने की आशंका अधिक हो। साथ ही जननांगों की भी बेहतर साफ-सफाई रखें। इसके अलावा महामारी के समय हाथों को बार-बार धोएं। साथ ही नियमित रूप से दिन में दो बार दांत अवश्य साफ करें। यह दांतों की सड़न, कैविटी और टूट-फूट को रोकता है। वहीं सर्दियों के दौरान भी 15 एसपीएफ वाली सनस्क्रीन लगाने से मेलेनोमा और अन्य त्वचा संबंधी जोखिम को आधा किया जा सकता है।