दिवाली का त्योंहार जल्द ही आने वाला है। इस त्यौंहार पर लोग पटाखे चलाकर जश्न मनाते हैं, लेकिन वायु प्रदूषण (Air Pollution) की वजह से राजधानी दिल्ली (Delhi) समेत देश के कई राज्यों में पटाखों पर बैन लगा दिया गया है। इनमें राजस्थान भी शामिल है। हालांकि, ग्रीन पटाखों पर छूट है। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि आखिरी ग्रीन क्रैकर्स (Green Firecrackers) आखिर होते क्या हैं।

ग्रीन पटाखों से प्रदूषण उत्सर्जन कम होता है। आम पटाखों की तुलना में इनके शेल का आकार भी कम होता है। इन्हें काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च-नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CSIR-NEERI) के एक्सपर्ट्स ने तैयार किया है।


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ग्रीन पटाखों को कम हानिकारक कच्चे माल से तैयार किया जाता है। जलाए जाने पर ये धूल को दबाते हैं। इनमें लिथियम, आर्सेनिक, बैरियम और लेड जैसी कैमिकल्स भी नहीं होते। ये जलने पर भाप छोड़ते हैं जो धूल को उड़ने नहीं देती।