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इजरायल के कोरोना वायरस के टीकाकरण ने बड़ा राज खोला है है जिसके तहत दुनिया को पहली बार एक बात पता चली है। इजरायल में तेजी से चल रहे कोरोना टीकाकरण के बीच एक स्टडी की गई है जिससे पहली बार एक महत्वपूर्ण बात पता चली है। इस स्टडी से संकेत मिले हैं कि वैक्सीन से कोरोना संक्रमण रुक सकता है। स्टडी के लेखक का कहना है कि फाइजर की वैक्सीन लगाने वाले लोग अन्य लोगों में वायरस का प्रसार नहीं करेंगे। अब तक यह स्पष्ट नहीं रहा है कि वैक्सीन लगवाने के बाद लोग कोरोना का संक्रमण नहीं फैलाएंगे।
ब्रिटिश टेलिग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिकए इजरायल के एक हॉस्पिटल के स्टाफ को फाइजर की कोरोना वैक्सीन दी गई थी। वैक्सीन लगवाने वाले 102 स्टाफ के डेटा से पता चला है कि वैक्सीन की दूसरी खुराक लेने के एक हफ्ते बाद लोगों में एंटीबॉडीज की करीब 20 गुनी मात्रा पहली खुराक के मुकाबले तैयार हो गई।
शेबा इंफेक्शस डिजीज एपिडीमीऑलजी यूनिट के डायरेक्टर प्रोफेसर गिली रगेव योहई का कहना है कि वैक्सीन की वजह से उच्च मात्रा में एंटीबॉडीज तैयार हो रही हैं और इस बात की काफी अधिक संभावना है कि ये लोग वायरस नहीं फैलाएंगे और दूसरों को संक्रमित नहीं करेंगे।
वैक्सीन लगवाने वाले 102 लोगों के डेटा की स्टडी से पता चला कि 98 फीसदी लोगों में एंटीबॉडीज की उच्च मात्रा मौजूद है। सिर्फ 2 लोगों में कम एंटीबॉडीज पाई गईं। जिन दो लोगों में कम एंटीबॉडीज मिलीं, उनमें से एक व्यक्ति पहले से इम्यून सिस्टम की दिक्कत से जूझ रहा था। हालांकि, दूसरे व्यक्ति में कम एंटीबॉडीज क्यों तैयार हुई इसकी अभी जांच की जा रही है।
98 फीसदी लोगों में एंटीबॉडीज की जो मात्रा मिलीं है वो कोरोना से गंभीर बीमार होने के बाद हॉस्पिटल से रिकवर होने वाले मरीजों में मिली एंटीबॉडीज की मात्रा से भी अधिक थी। अब तक इजरायल में 21 लाख से अधिक लोगों को फाइजर की वैक्सीन की पहली खुराक दे दी गई है, जबकि 3 लाख से अधिक लोगों को वैक्सीन की दोनों खुराक दी जा चुकी है।
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