Corona मरीजों को अब जरा और सावधान हो जाने की जरूरत है क्योंकि उनको Mucormycosis नाम की एक और जानलेवा बीमारी हो रही है। जी हां, कोरोना की वजह से लोग म्यूकोरमाइकोसिस की चपेट में आ जा रहे हैं। गुजरात और दिल्ली में कई मामले सामने आए हैं जहां कोरोना के बाद लोग म्यूकोरमाइकोसिस से बीमार हो रहे हैं।

सर गंगाराम अस्पताल के वरिष्ठ ईएनटी सर्जन डॉक्टर मनीष मुंजाल ने बताया कि हम Covid-19 की वजह से होने वाले खतरनाक फंगल इंफेक्शन के कई मामले देख रहे हैं। पिछले दो दिनों में म्यूकोरमाइकोसिस 6 मामले सामने आए हैं। पिछले साल भी इससे कई लोगों की मौत हुई थी, कई लोगों की आंखों की रौशनी चली गई थी और कुछ लोगों के नाक और जबड़े की हड्डियां निकालनी पड़ी थीं।

म्यूकोरमाइकोसिस की बीमारी इतनी गंभीर है कि इसमें व्यक्ति को सीधे ICU की जरूरत पड़ जाती है। कोरोना से ठीक हुआ व्यक्ति अगर इस बीमारी की चपेट में आता है तो समय पर इलाज न होने से उसकी जान भी जा सकती है। पिछले साल कोरोना की पहली लहर में भी कई लोग इस बीमारी से संक्रमित हुए थे। इससे कुछ लोगों की जान चली गई तो वहीं कुछ लोगों को इससे आंखों की रौशनी गंवानी पड़ गई। आइए जानते हैं कि म्यूकोरमाइकोसिस क्या है और किन लोगों को इससे ज्यादा खतरा है।

क्या है म्यूकोरमाइकोसिस- म्यूकोरमाइकोसिस एक तरह का फंगल इंफेक्शन है जो शरीर में बहुत तेजी से फैलता है। इसे ब्लैक फंगस भी कहा जाता है। म्यूकोरमाइकोसिस इंफेक्शन दिमाग, फेफड़े या फिर स्किन पर भी हो सकता है। इस बीमारी में कई के आंखों की रौशनी चली जाती है वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी गल जाती है। अगर समय रहते इसे कंट्रोल न किया गया तो इससे मरीज की मौत भी हो सकती है।

म्यूकोरमाइकोसिस के लक्षण- ब्रेन म्यूकोरमाइकोसिस में चेहरे पर एक तरफ सूजन, सिर दर्द, साइनस की दिक्कत, नाक के ऊपरी हिस्से पर काले घाव जो जल्दी गंभीर हो जाते हैं और तेज बुखार होता है। फेफड़ों में म्यूकोरमाइकोसिस होने पर खांसी, सीने में दर्द और सांस लेने में दिक्कत होती है। वहीं स्किन पर ये इंफेक्शन होने से फुंसी या छाले पड़ सकते हैं और इंफेक्शन वाली जगह काली पड़ सकती है। कुछ मरीजों को आंखों में दर्द, धुंधला दिखाई देना, पेट दर्द, उल्टी या मिचली भी महसूस होती है।

कोरोना के मरीजों को ज्यादा खतरा- म्यूकोरमाइकोसिस बीमारी आम तौर पर उन लोगों को तेजी से अपना शिकार बनाती है जिन लोगों में इम्यूनिटी बहुत कम होती है। कोरोना के दौरान या फिर ठीक हो चुके मरीजों का इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर होता है इसलिए वो आसानी से इसकी चपेट में आ जा रहे हैं। खासतौर से कोरोना के जिन मरीजों को डायबिटीज है, शुगर लेवल बढ़ जाने पर उनमें म्यूकोरमाइकोसिस खतरनाक रूप से सकता है।

सर गंगाराम अस्पताल के ईएनटी विभाग के चेयरमैन डॉक्टर अजय स्वरूप का कहना है कि Covid-19 के इलाज में जरूरत से ज्यादा स्टेरॉयड का इस्तेमाल से भी ये मामले बढ़ रहे हैं। वहीं कोरोना के जिन मरीजों को डायबिटीज की दिक्कत है उनमें ब्लैक फंगस के मामले ज्यादा देखे जा रहे हैं।

डॉक्टर स्वरूप का कहना है म्यूकोरमाइकोसिस इंफेक्शन के ज्यादातर मामले उन मरीजों में देखे जा रहे हैं जो Covid-19 से ठीक हो चुके हैं लेकिन उनमें डायबिटीज, किडनी, हार्ट फेल्योर या फिर कैंसर की बीमारी है।