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कोरोना वायरस के नए Omicron वैरिएंट ने पूरी दुनिया को संकट में डाल रखा है। WHO यानि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक बयान में कहा है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट का खतरा अभी भी बहुत ज्यादा है। WHO की यह प्रतिक्रिया पिछले सप्ताह वैश्विक स्तर पर कोविड-19 के 11 प्रतिशत मामले बढ़ने के बाद आई है। भारत में भी ओमिक्रॉन इंफेक्शन के मामले बढ़कर 781 पहुंच गए हैं।
कोविड-19 के साप्ताहिक एपिडेमायोलॉजिकल अपडेट में WHO ने कहा, 'कई देशों में वायरस के तेजी से फैलने के पीछे नया ओमिक्रॉन वैरिएंट है। ये उन देशों में भी आगे निकल चुका है जहां पहले डेल्टा वैरिएंट हावी था।' यूएन हेल्थ एजेंसी ने कहा कि नए 'वैरिएंट ऑफ कन्सर्न' ओमिक्रन का ओवरऑल रिस्क बहुत ज्यादा है।WHO ने कहा कि लगातार सामने आ रहे आंकड़े बताते हैं कि डेल्टा वैरिएंट की तुलना में ओमिक्रॉन ज्यादा तेजी से विकसित हुआ है। ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों में भी वायरस बड़ी तेजी से फैल रहा है। इन देशों में अब ओमिक्रॉन ज्यादा प्रभावशाली वैरिएंट बन गया है। इम्यून से बच निकलने की क्षमता और ज्यादा संक्रामक होने का कॉम्बिनेशन ओमिक्रॉन की तेजी का कारण हो सकता है।WHO ने यह भी कहा कि दक्षिण अफ्रीका में कोरोना के मामले 29 प्रतिशत कम हुए हैं। दक्षिण अफ्रीका पहला ऐसा देश था जिसने 24 नवंबर को पहली बार WHO को ओमिक्रॉन वैरिएंट की जानकारी दी थी। ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका और डेनमार्क से जुटाए गए शुरुआती डेटा से पता चला है कि डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन इंफेक्शन से अस्पताल में भर्ती होने का जोखिम कम है।हालांकि ओमिक्रॉन की गंभीरता को समझने के लिए अभी और डेटा की जरूरत है, जिसमें ऑक्सीजन का इस्तेमाल, मैकेनिकल वेंटिलेशन और मौत से जुड़े आंकड़े शामिल हैं। कोविड से पहले संक्रमित हो चुके लोग और वैक्सीनेट लोगों के लिए ओमिक्रॉन कितना गंभीर है, ये जानने के लिए भी अधिक डेटा की आवश्यकता है।WHO ने कहा, 'ऐसी उम्मीद है कि कोर्टिकोस्टेरॉयड और इंटरल्यूकिन 6 रिसेप्टर ब्लॉकर्स गंभीर रूप से बीमार पड़ रहे मरीजों के इलाज में प्रभावी होंगे। हालांकि, शुरुआती डेटा ये भी बताता है कि मोनोक्लोनर एंटीबॉडीज शरीर में ओमिक्रॉन वैरिएंट को बेअसर करने में कम कारगर हो सकती है।'फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर हमसे जुड़ें |