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उत्तर प्रदेश में पिछले दस दिनों के दौरान कोरोना के 95 हजार से अधिक सक्रिय मामलों में कमी आयी है। स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार पिछली 30 अप्रैल को राज्य में तीन लाख 10 हजार 783 एक्टिव कोविड केस थे, जबकि आज मिली रिपोर्ट में यह संख्या दो लाख 16 हजार 57 है।
कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित लखनऊ के अलावा वाराणसी, प्रयागराज, कानपुर और गोरखपुर में नये मामलों में कमी आयी है, जबकि स्वस्थ होने वालों की संख्या बढ़ रही है। मेरठ और नोएडा में हालांकि विशेष परिवर्तन नहीं हुआ है। पिछले 24 घंटों में प्रदेश में 20,463 नए कोविड केस की पुष्टि हुई है, जबकि इसी अवधि में 29,358 लोग स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हुए हैं। प्रदेश में नए कोविड केस कम हो रहे हैं, जबकि रिकवरी दर बेहतर हो रही है। इस अवधि में 2,33,705 सैम्पल टेस्ट हुए, जिसमें 1,10,000 टेस्ट केवल आरटीपीसीआर माध्यम से हुए। अब तक प्रदेश में 4,34,04,184 करोड़ टेस्ट हो चुके हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने टीम-09 की बैठक में कहा कि कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने और गांवों को कोरोना से सुरक्षित रखने के उद्देश्य से वर्तमान में 97,000 से अधिक राजस्व गांवों में वृहद टेस्टिंग अभियान संचालित किया जा रहा है। इस अभियान के सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस अभियान की सराहना की है। व्यापक जनमहत्व के इस अभियान को पूरी तत्परता के साथ संचालित किया जाए। हर लक्षणयुक्त/संदिग्ध व्यक्ति की एंटीजन जांच की जाए।आरआरटी टीम की संख्या बढ़ाई जाए। उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना से लड़ाई में पूरा प्रदेश एकजुट है। जनसहयोग और ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट की नीति के नियोजित अनुपालन के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं।
प्रदेश का रिकवरी दर लगातार बेहतर हो रहा है। अब तक 13 लाख 13 हजार से अधिक प्रदेशवासी कोरोना से लड़ाई जीत कर स्वस्थ हो चुके हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि विशेषज्ञों के आकलन को ध्यान में रखते हुए सभी जिलों में बच्चों के स्वास्थ्य सुरक्षा के विशेष इंतजाम करने की आवश्यकता है। इस उद्देश्य से सभी जिला अस्पतालों में न्यूनतम 10-15 बेड और मेडिकल कॉलेज में 25-30 बेड की क्षमता वाले पीडियाट्रिक आईसीयू को तैयार कराया जाए। मंडल मुख्यालय पर न्यूनतम 100 बेड का पीडियाट्रिक आईसीयू होना चाहिए। आवश्यक चिकित्सकीय उपकरण, मेडिसिन आदि की उपलब्धता करा ली जाए। इस संबंध में चिकित्सकों व अन्य स्टाफ का प्रशिक्षण कराया जाए। यह कार्य तेजी के साथ कराया जाए।
उन्होंने कहा कि निगरानी समितियां गांवों में घर-घर भ्रमण कर लोगों की स्क्रीनिंग का कार्य कर रही हैं। यह समितियां होम आइसोलेट मरीजों को तथा अन्य संदिग्ध लक्षणयुक्त लोगों को आवश्यकतानुसार मेडिकल किट प्रदान करती हैं। मेडिकल किट वितरण की इस व्यवस्था की सतत निगरानी की जाए। निगरानी समितियां जिन्हें मेडिकल किट दे रही हैं, उनका नाम और फोन नम्बर आइसीसीसी को उपलब्ध कराएं। योगी ने कहा कि सभी जिलों में वेंटिलेटर और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध कराए गए हैं। एसीएस स्वास्थ्य, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा प्रत्येक दशा में इन उपकरणों को क्रियाशील होना सुनिश्चित कराएं। संबंधित जिलों से संपर्क कर इस संबंध में उनकी समस्याओं का निराकरण कराएं। इसके उपरांत भी यदि वेंटिलेटर/ऑक्सीजन कंसंट्रेटर क्रियाशील न होने की सूचना प्राप्त हुई तो संबंधित डीएम/सीएमओ की जवाबदेही तय की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में रेमेडेसीवीर सहित जीवनरक्षक मानी जा रही सभी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जा रही है। केन्द्र सरकार ने उत्तर प्रदेश के लिए रेमेडेसीवीर का दैनिक आवंटन भी बढ़ा दिया है। सरकारी कोविड अस्पतालों में यह इंजेक्शन पूर्णत: नि:शुल्क है। निजी अस्पतालों को जरूरत के अनुसार डीएम/सीएमओ द्वारा इसकी उपलब्धता कराई जा रही है। उत्तर प्रदेश सर्वाधिक टीकाकरण करने वाला राज्य है। अब तक 1,39,08,152 डोज लगाए जा चुके हैं। 18-44 आयु वर्ग का टीकाकरण अब 18 जिलों में संचालित हो रहा है। 10 मई को इस आयु वर्ग के 50,157 लोग टीका कवर से आच्छादित हुए। इस प्रकार, प्रदेश में 18 से 44 आयु वाले 1.66 लाख से अधिक लोगों का टीकाकरण हो चुका है। इस आयु वर्ग में वैक्सीन वेस्टेज भी घटता जा रहा है, वर्तमान में यह 0.6 फीसदी है।
योगी ने कहा कि ऑक्सिजन की आपूर्ति और वितरण व्यवस्था को बेहतर करने के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य किया जा रहा है। सभी जिलों को जरूरत के अनुसार ऑक्सीजन की आपूर्ति कराई जा रही है। विगत 24 घंटे में प्रदेश में 1,011 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का वितरण किया गया है। इसमें रीफिलर को 632 मीट्रिक टन और मेडिकल कॉलेजों को 301 मीट्रिक टन की आपूर्ति की गई है। वाराणसी, लखनऊ,प्रयागराज, कानपुर जैसे बड़े और अधिक संक्रमण दर वाले जिलों में ऑक्सीजन की उपलब्धता बेहतर हो रही है। आज 08 टैंकर की नई ट्रेन आ रही है, जबकि 10 टैंकर वाली जीवनरक्षक एक्सप्रेस लखनऊ में खड़ी है। गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, मुरादाबाद के अलावा कम संक्रमण दर वाले जिलों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
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