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कोविड टीकाकरण में पहले चरण के अभियान में डॉक्टर और मेडिकल वॉरियर्स की गर्मजोशी की कमी के कारण देश में दूसरे चरण का अभियान भी कई राज्यों में शुरू हो गया है। राज्यों के भीतर मेडिकल वॉरियर्स के अतिरिक्त फ्रंटलाइन वॉरियर्स को टीका देने का काम शुरू कर दिया गया है। जबकि अभी तक देश में सिर्फ 54 फीसदी स्वास्थ्यकर्मियों को टीका लगा है।
पहले तय हुआ था कि एक करोड़ मेडिकल वॉरियर्स को टीका लगने के बाद ही फ्रंटलाइन वॉरियर्स को कोरोना का टीका लगाया जाएगा। दरअसल, देश में कोविड टीकाकरण को लेकर लोगों का पर्याप्त भरोसा नहीं बन पा रहा है। यही वजह है कि मेडिकल वॉरियर्स ने इस टीके को लेकर ज्यादा जोश नहीं दिखाया। स्वास्थ्यकर्मियों की गर्मजोशी की कमी की वजह से सरकार ने टीकाकरण में अब सिर्फ डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ को रखने के बजाय दूसरा कदम आगे बढ़ा दिया है। अब देश के कई राज्यों में फ्रंटलाइन वॉरियर्स जैसे सेना के जवान, अर्धसैनिक बल, राजस्व विभाग के कर्मचारी और पुलिस के जवानों को टीका लगाना शुरू कर दिया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार पांच फरवरी तक देश में 54 लाख लोगों का टीकाकरण हो चुका है, जिसमें करीब 53 लाख स्वास्थ्यकर्मी हैं। देश के कुल टीकाकरण का 54.87 फीसदी टीका केवल सात राज्यों ने लगाने में सफलता हासिल की है। इनमें उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। जबकि दूसरे नंबर पर राजस्थान और फिर महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश शामिल हैं। हालांकि यह राज्य औसत से भले ही आगे हों, लेकिन खुद के राज्य के लिए तय टारगेट से काफी पीछे हैं। अगर नंबर के मामले में बात करें तो दमन और द्वीव में अब तक केवल 561 लोगों को टीके दिए गए हैं, जो पूरे देश में राज्यों के आधार पर सबसे कम हैं।
वैक्सीन से होने वाले असर को लेकर दुनिया भर में बड़ी चर्चा थी, लेकिन देश में अब तक केवल 27 लोग ही वैक्सीन लेने के बाद अस्पताल में भर्ती कराए गए हैं। सरकारी आंकड़ा कहता है कि देश में साइडइफेक्ट का असर 0.0005 फीसदी ही है। वैक्सीन लेने के बाद 22 मौतें रेकॉर्ड की गई हैं, हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय का दावा है कि इनकी मौत की वजह वैक्सीन नहीं है।
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