कोरोना से रिकवर हो चुके मरीजोंं के लिए चिंताजनक खबर। हाल ही हुए अध्ययन में खुलासा किया गया कि ठीक होने के बाद भी महामारी का वायरस शरीर में रह सकता है। इसमें कहा गया कि क्वॉरंटीन से निकलने वाले लोग दूसरों के संपर्क में आने से बचें, फेस मास्क पहनें और जरूरत हो तो अतिरिक्त टेस्ट कराएं, जिससे वायरस के खत्मे की पुष्टि हो सके। 

जानकारी के अनुसार 131 लोगों पर किए अध्ययन में पाया गया कि 17 प्रतिशत फॉलोअप स्क्रीनिंग के बाद भी कोरोना पॉजिटिव थे। वहीं, अध्ययन में शामिल 131 लोग विश्व स्वास्थ्य संगठन के उन मानकों पर खरे उतर रहे थे, जिनके आधार पर उन्हें क्वॉरंटीन खत्म करने की इजाजत थी। इटली के शोधकर्ताओं के अनुसार उनके नतीजों से संकेत मिले हैं कि कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों में से कई बिना लक्षणों के वायरस के कैरियर होते हैं। 

अध्ययन में ऐसे मरीजों को देखा जो कोरोना से ठीक हो चुके थे। इन लोगों के ऊपर वायरस के असर को स्टडी किया गया तो पता चला कि जिन लोगों में सांस संबंधी परेशानी, गले की खराश जैसे लक्षण थे, उनके पॉजिटिव पाए जाने की आशंका ज्यादा थी। अध्ययन में बाईस लोग फिर से पॉजिटिव पाए गए। शोधकर्ताओं का कहना है कि इन लक्षणों के बरकरार रहने को कम नहीं समझना चाहिए और जिन लोगों को ठीक माना जाता है, उनका भी ध्यान रखना चाहिए।

इटली के शोधकर्ताओं के मुताबिक अध्ययन के दौरान कोरोना के एक्यूट फेज पर ध्यान दिया लेकिन डिस्चार्ज होने के बाद भी मॉनिटरिंग की जरूरत है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक किसी मरीज का क्वॉरंटीन खत्म करने के लिए बिना दवा के तीन दिन तक बुखार नहीं आना चाहिए। कोरोना के लक्षणों में आराम मिलना चाहिए। इसमें यह भी कहा गया है कि 24 घंटे के अंतराल पर किए टेस्ट में मरीज का दो बार टेस्ट नेगेटिव आना चाहिए।

अध्ययन में यह भी कहा गया कि कोरोना फैलने से रोकने के लिए यह जानना जरूरी है कि क्या वायरस के हिस्से शरीर में बचे रहने से भी एक व्यक्ति से वायरस दूसरों में फैल सकता है? वैज्ञानिकों के मुताबिक आरटी-पीसीआर टेस्ट में छोटे वायरल जेनेटिक मैटीरियल आरएनए को खोजा जाता है और उसके पॉजिटिव आने पर यह पता चल सकता है कि क्या व्यक्ति में वायरस के हिस्से बाकी हैं। हालांकि, इससे यह साफ नहीं होता है कि क्या वायरस दूसरों में फैल सकता है या नहीं। इसलिए एहतियात के तौर पर मरीजों को सतर्क रहना चाहिए और दूसरों के संपर्क में आने से बचना चाहिए, मास्क पहनना चाहिए और हो सके तो नाक और गले से स्वॉब टेस्ट करना चाहिए।