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श्रीलंका को अब तक के सबसे खराब कोविड -19 के प्रकोप का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि द्वीप राष्ट्र ने सबसे अधिक एकल-दिवसीय मौतों को दर्ज किया है। यहां कोरोना के मामले अब अस्पतालों की क्षमता से ज्यादा आ रहे हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों ने बुधवार को घोषणा की कि 4,727 नए मामलों के साथ 82 लोगों की मौत हुई है। नए आंकड़े के साथ, श्रीलंका का कुल आंकड़ा और मरने वालों की संख्या क्रमश: 3,18,775 और 4,727 हो गया है।
डेल्टा वेरिएंट के प्रकोप और रोगियों के अत्यधिक आने के साथ, रत्नापुरा सामान्य अस्पताल और करापीटिया टीचिंग अस्पताल ने आपात स्थिति घोषित कर दी है। डेल्टा वेरिएंट के प्रसार और ऑक्सीजन की मांग में तेजी से वृद्धि के कारण, चिकित्सा विशेषज्ञों ने श्रीलंका सरकार से कोविड -19 प्रतिबंध हटाने के अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है। एसोसिएशन ऑफ मेडिकल स्पेशलिस्ट्स (एएमएस) ने सरकार से मई और जून में लगाए गए कफ्र्यू-शैली के यात्रा प्रतिबंधों पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया ताकि तेजी से फैलने वाली महामारी को नियंत्रित किया जा सके क्योंकि रोगियों की बढ़ती संख्या के इलाज के लिए क्षेत्र की क्षमता लगभग अपने चरम बिंदु पर पहुंच गई है।
एक बयान में, एएमएस ने यह भी चेतावनी दी कि ऑक्सीजन की मांग आपूर्ति से अधिक हो सकती है।विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ऑक्सीजन की कमी, या इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि मरीजों के बेडसाइड में ऑक्सीजन वितरण तंत्र की कमी से मृत्यु हो सकती है। उन्होंने कहा कि इस पृष्ठभूमि के खिलाफ श्रीलंका के कोविड -19 प्रतिबंधों में और ढील देना आग में घी डालने जैसा है। मंगलवार को, अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने चेतावनी दी कि श्रीलंका आने वाले महीनों में सबसे खराब प्रकोप का सामना करने जा रहा है। हांगकांग विश्वविद्यालय में वायरोलॉजी के प्रमुख प्रोफेसर मलिक पीरिस ने कहा कि डेल्टा वेरिएंट, जिसने भारत में तबाही मचाई, मुझे डर है कि आने वाले हफ्तों में इसका श्रीलंका पर बड़ा प्रभाव पडऩे वाला है।
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