Corona के कारण कोमा में गई एक महिला नर्स को वियाग्रा के इस्तेमाल से बचा लिया गया है। नर्स 37 वर्षीय मोनिका अल्मेडा 45 दिनों से कोमा में थी। डॉक्टरों ने वियाग्रा की मदद से उन्हें कोमा से बाहर निकाला। ये कमाल का आइडिया मोनिका की सहकर्मियों का था।

मोनिका को जब होश आया तो उसने डॉक्टरों और अपनी सहकर्मियों को इसके लिए धन्यवाद किया। बता दें, मोनिका को होश में लाने के लिए डॉक्टरों ने इरेक्टाइल डिसफंक्शन की दवा का उपयोग किया।

मोनिका का ऑक्सीजन लेवल आधे से भी ज्यादा कम हो गया था और वह लगातार और कम होता जा रहा था। इंगलैंड के गेन्सबरो लिंकनशायर की रहने वाली नर्स मोनिका ने बताया कि जब मैं होश में आई तो मुझे डॉक्टर ने बताया कि मुझे वियाग्रा की मदद से होश में लाया गया है। पहले मुझे ये सब मजाक लगा। लेकिन उन्होंने कहा कि सच में मुझे वियाग्रा की हेवी डोज दी गई है।

मोनिका एनएचएस लिंकनशायर में कोरोना के मरीजों का इलाज करती थीं। उन्हें इसी दौरान अक्टूबर में कोरोना हो गया था। उनकी धीरे-धीरे तबीयत और ज्यादा बिगड़ने लगी और खून की उल्टियां भी होने लगीं। इसके बाद उन्होंने अस्पताल में अपना इलाज करवाया। वहां से उन्हें जल्द ही डिस्चार्ज भी कर दिया गया।

लेकिन घर जाते ही मोनिका को सांस लेने में भी दिक्कत आने लगी। जिसके बाद वह सीधे लिंकन काउंटी हॉस्पिटल चली गईं। वहां उनका इलाज शुरू किया गया। लेकिन उनका ऑक्सीजन लेवल लगातार गिरता जा रहा था जिसके बाद उन्हें आईसीयू में भर्ती करना पड़ा। 16 नवंबर को वह कोमा में ही चली गईं।

डॉक्टरों ने मोनिका के ट्रीटमेंट के लिए अलग तरह का आइडिया ढूंढ निकाला। और वियाग्रा की दवा से उनका उपचार किया। दरअसल, वियाग्रा के उपयोग से खून का दौरा बेहतर बनता है। वियाग्रा फेफड़ों में फोस्पोडायस्टेरियस एंजाइम बनाती है और रक्त धमनियों को चौड़ा कर फेफड़े को आराम पहुंचाने का काम करती है।