भावी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का दिल्ली दौरा शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व व अन्य दलों के नेताओं को केवल निमंत्रण देने के लिए नहीं हुआ। सूत्रों की मानें, तो कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी व राहुल गांधी से शिष्टाचार मुलाकात कर चुनावी समर में सहयोग के लिए न सिर्फ आभार व्यक्त किया, बल्कि राहुल गांधी के साथ गुफ्तगू में भावी मंत्रिमंडल के गठन, विभागों के बंटवारे समेत भावी सरकार की रूपरेखा पर भी सहमति बनाने का काम किया है। यह सब इसलिए कि मंत्रिमंडल में कोटा और विभागों के बंटवारे पर कोई किचकिच न हो।


हेमंत सोरेन ने दिल्ली जाने का यह फैसला राहुल गांधी से बनी नजदीकियों के कारण भी लिया। जानकारी के अनुसार, पहले सोनिया या राहुल से बात करने के लिए हेमंत को घंटों समय लग जाता था। लोकसभा चुनाव के समय से ही राहुल के साथ हेमंत बनी नजदीकी कायम है। अब एक फोन कॉल पर ही राहुल गांधी से उनकी कुछ ही देर में बात हो जाती है। इसी का ही परिणाम था कि विधानसभा चुनाव के समय भी सीटों के बंटवारे को लेकर कोई विवाद नहीं हुआ। राहुल के साथ बातचीत में हेमंत ने सारा विवाद सुलझा लिया और किसी को बोलने का मौका ही नहीं दिया।
 


हेमंत ने चुनाव प्रचार के दौरान भी राहुल और प्रियंका संग मंच साझा किया। दोनों दलों के बीच किसी प्रकार की गलतफहमी न पनपे, इसीलिए हेमंत ने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से सीधा संवाद कायम किया है। दिल्ली में मिशन को पूरा करने के बाद बुधवार की रात ही हेमंत के रांची लौटने की संभावना है, जहां वह शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियों की औपचारिकता पूरी करेंगे। सूत्रों का कहना है कि हेमंत को अब कांग्रेस ही नहीं, झामुमो के नेता- कार्यकर्ता भी मैच्योर पॉलिटिशियन के रूप में देखने लगे हैं। उन्हें नौसिखुआ मानने की वे अब भूल भी नहीं कर सकते। हेमंत एक बार उप मुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री रह चुके हैं।

 

राज्य में गठित हाेने जा रही नई सरकार में कांग्रेस काे बड़ी हिस्सेदारी मिलनी है। इसे ध्यान में रखते हुए मंत्रिमंडल में शामिल हाेने के लिए कांग्रेस के कई नेता अपने आकाओं के माध्यम से दिल्ली दरबार तक संपर्क साधने में जुटे हुए हैं। इतना ही नहीं, प्रदेश कांग्रेस प्रभारी तक भी अपनी बात रख रहे हैं, ताकि उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल हाेने का माैका मिल सके। पार्टी के भीतर माना जा रहा है कि सीनियर नेताओं काे ही मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी। मंत्रिमंडल में एक महिला का भी शामिल हाेना तय माना जा रहा है।


कांग्रेस की चार महिलाएं विधायक बनी हैं। अब इन्हीं चाराें में से एक काे मंत्री पद मिलना है। इसे ध्यान में रखते हुए भी पार्टी के भीतर अपने-अपने संपर्काें के माध्यम से मंत्री पद के लिए आकाओं तक बात पहुंचाई जा रही है। जिस नेता का संपर्क जहां है, वाे उसे खंगालने और टटाेलने में लगा हुआ है, ताकि उनकी इच्छा पूरी हाे सके। हालांकि पार्टी आलाकमान को ही अंतिम निर्णय लेना है। संभवत: हेमंत के साथ हुई बातचीत में सबकुछ तय हो गया है।
क्या तय हुआ, यह तो सरकार गठन के बाद ही पता चल पाएगा। चुनाव में लगातार करीब 40 दिनाें तक झारखंड कैंप करने के बाद प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य और प्रदेश कांग्रेस के काेआर्डिनेटर अजय शर्मा बुधवार काे दिल्ली चले गए। उनके साथ प्रदेश सह प्रभारी और मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री उमंग सिंघार भी दिल्ली गए।