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राज्य सरकार के प्रमुख सहयोगी दल असम गण परिषद तथा भाजपा के बीच दिनों-दिन राजनीति बयानबाजी गरमा रही है । भाजपा जहां अगप को मित्रता के नाम पर विभिन्न तरह की बयानबाजी कर रही है । वहीं अगप के प्रवक्ता मनोज सैकिया ने भाजपा पर करारा हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस व भाजपा दोनों भाई- भाई हैं , वहीं अगप पर विभिन्न तरह से प्रहार कर रही है ।
पर हकीकत यह है कि राज्यवासिंयों के लिए कांग्रेस एक आपदा है तथा भाजपा विपदा है । भाजपा झूठ को बोलने के लिए महाराज है । राज्य सरकार के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल तथा उद्योग मंत्री चंद्रमोहन पटवारी दोनों ही अपनी असमिया मातृ को भूल कर दिल्ली की बातों पर चल रहें हैं ।
पर उनको यह ध्यान रखना चाहिए कि अपने मातृ को भूलना नीज मातृ को भूलने के समान है । भाजपा के कई मंत्री सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी के जरिए राज्यवासिंयों की भावनाओं से खेल रहे हैं। वही राज्यवासियों का वोट संग्रह करने की राजनीति कर रहे हैं। राज्य सरकार नागरिकता संशोधन विधेयक के जरिए असम में अवैध विदेशी को लाना चाहती है ।
मनोज सैकिया ने कहा की भाजपा सिर्फ ऑफर देने की राजनीति करती है, इस पार्टी ने चुनाव के समय आईयूडीएफ व कांग्रेस को भी ऑफर दिया था । वही एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि भाजपा ने मित्रता के नाम पर हमारे पीठ पर खंजर घोपने का काम किया है । वही गुप्त हत्या का सेहरा भाजपा के माथे पर थोपते हुए उन्होंने कहा कि यह भाजपा की सृजन है तथा इसकी तालिका राज्य सरकार के स्वास्थ्य मंत्री तथा सरकार भाजपानेता डां हिमंत विश्व शर्मा के पास है ।
वही पूर्व सांसद बिरेंद्र प्रसाद वैश्य का कहना है कि पंचायत चुनाव के पहले चरण में राज्यवासियों ने अगप के पक्ष में अधिकाधिक वोट डाले, इसके लिए अगप की ओर से उन्हें अभीनंदन है, वहीं उम्मीद है कि आगामी 9 दिसंबर को पंचायत चुनाव में भी अगप के समर्थन में अपना अधिक से अधिक मत देंगे । जिसका फायदा अगप को मिलेगा।
वही उन्होंन भी एक प्रश्न के जवाब में कहा कि राज्यवासियों को अगप नहीं भाजपा सरकार प्रताड़ित कर रही है । राज्य के चुनाव जितने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद कहा था कि अब असम से अवैध विदेशियों को बोरिया बिस्तर लेकर जाना ही होगा, पर विधेयक के माध्यम से वही प्रधानमंत्री अब अवैध विदेशी को बोरिया बिस्तर के साथ बुलाना चाहती है ।
भाजपा इस असम समझौता को नष्ट करने का षडयंत्र कर रही है, पर हमारा स्पष्ट मत है असम समझौता का अक्षरम: पालन होना होगा, वही किसी भी हालत में विधेयक पास नही होने देंगे तथा एक भी विदेशी को असम में लाने नही देंगे ।
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