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लगभग पूरी दुनिया इस समय ऊर्जा संकट (coal crisis in india) का सामना कर रही है। कहीं प्राकृतिक गैस तो कहीं कोयले की कमी से ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना चुनौती बन गया है। भारत में भी कई पावर प्लांट (power plant) पर कोयले की आपूर्ति कम होने की बात कही जा रही है। राज्य सरकारें इसे लेकर चिंता जाहिर कर चुकी हैं और कई बिजली संयंत्र कोयले की कमी (power plant coal shortage) का सामना कर रहे हैं।
पंजाब में तीन, केरल में चार और महाराष्ट्र में 13 थर्मल पावर स्टेशन (thermal power station) बंद हो चुके हैं। सभी कोयले की कमी के कारण बंद हुए हैं। हालांकि, कोयला मंत्रालय (ministry of coal) की ओर से कहा गया है कि देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त मात्रा में कोयला मौजूद है। इस बीच जानकारी मिल रही है कि कोयले की कमी के कारण रायबरेली के ऊंचाहार स्थित नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (एनटीपीसी) (NTPC) की दूसरी इकाई को भी बंद करना पड़ा। इस इकाई के बंद होने से कई राज्य प्रभावित हो सकते हैं। यहां से बिजली पाने वाले उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, चंडीगढ़, दिल्ली, उत्तरांचल पर असर पड़ना तय है।
बता दें कि भारत में 135 कोयले पर आधारित बिजली संयंत्र हैं। इसमें आधे से अधिक संयंत्रों में कोयले की कमी है। देश में 70 फीसदी से अधिक बिजली का उत्पादन कोयले से होता है। भारत में दुनिया में कोयले का चौथा सबसे बड़ा भंडार है, लेकिन खपत की वजह से भारत कोयला आयात करने में दुनिया में दूसरे नंबर पर है। बीते दो महीनों में ही बिजली की खपत 2019 के मुकाबल में 17 प्रतिशत बढ़ गई है। इस बीच दुनियाभर में कोयले के दाम 40 फीसदी तक बढ़े हैं। भारत का कोयला आयात दो साल में सबसे निचले स्तर पर है और ज्यादातर बिजली संयंत्र आयात किए गए कोयले से चलते थे। बिजली संयंत्र देश में उत्पादित हो रहे कोयल पर निर्भर हो गए हैं। बारिश के कारण देश में कोयला उत्पादन और आपूर्ति दोनों प्रभावित हुई है।
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