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चीन अपनी आने वाली पीढ़ियों को तेज तर्रार बनाने के लिए चिकन पैरेंटिंग का सहारा ले रहा है। चीन सुपर किड की चाह पर बच्चों पर नए नए प्रयोग कर रहा है। सूत्रों ने दावा किया है चीन बच्चों को मुर्गे के खून का इंजेक्शन लगा रहा है। दावा है कि इससे न सिर्फ बच्चों की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां दूर हो रही हैं, जबकि उनमें चुस्ती-फुर्ती भी आ रही है।
इतना ही नहीं दावा किया जा रहा है कि इससे कैंसर और गंजापन की तकलीफ भी खत्म हो सकती है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार चिकन के खून में स्टेरॉयड होता है जो बच्चों को पढ़ाई के साथ खेल के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करने में मदद कर सकता है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार चीन चाहता है कि उसके देश के बच्चे हर क्षेत्र में आगे रहें। वहीं अभिभावकों में भी अब चिकन बेबी का क्रेज बढ़ रहा है। बीजिंग, संघाई और गुवांगझू में चिकन बेबी का चलन चल रहा है। ऐसे बच्चों को यहां अलग पहचान मिल रही है, जिससे दूसरे अभिभावक भी प्रेरित हो रहे हैं।
गौरतलब है कि चीन अपने देश के बच्चों और उनके भविष्य को लेकर लगातार बड़े कदम उठा रहा है। मोबाइल और ऑनलाइन गेम के आदी हो रहे बच्चों पर अंकुश लगाने के लिए यहां बच्चों का स्क्रीन टाइम तय कर दिया गया है। जिससे उनकी आंखों को नुकसान न हो। नेशनल मेंटल हेल्थ डेवलपमेंट के अनुसार, चीन में बच्चों को दृष्टिदोष की शिकायत भी दुनिया में सबसे अधिक है। मिडिल स्कूल के 71 और हाई स्कूल के 81 फीसदी बच्चों की पास की नजर कमजोर है। वहीं चीन के 25 फीसदी किशोर वर्ष 2019-20 में अवसाद से पीड़ित थे। 7.4 फीसदी किशोर अवसाद के गंभीर रूप से ग्रसित थे।
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