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एकता में कितनी शक्ति है, चीन में हाल ही में इसका एक उदाहरण सामने आया। यहां एक पूरा गांव अपनी धरोहर को बचाने के लिए कोर्ट पहुंचा और आखिरकार उनकी जीत हुई। चीन के सैंमिंग इंटरमीडिएट पीपुल्स कोर्ट ने डच कला संग्रहकर्ता को 1995 में गायब हुई बुद्ध की प्रतिमा को वापस करने का आदेश दिया है। चीन की अदालत ने डच कलक्टर ऑस्कर वैन ओवरिम के नाम आदेश जारी करते हुए 30 दिनों के भीतर प्रतिमा वापस करने को कहा है।
यह है मामला
फुजियान के दक्षिण-पूर्व में स्थित यांगचुन गांव के लोगों का कहना है कि यह मूर्ति 1000 साल पुरानी है, जो साल 1995 में चोरी हो गई थी। वहीं डच कला संग्रहकर्ता का कहना है कि उन्होंने यह मूर्ति हांगकांग से साल 1996 में खरीदी थी। संग्रहकर्ता का तर्क था कि यह वो मूर्ति नहीं है, जिसके मालिकाना हक का दावा यांगचुन गांव लोग कर रहे हैं। ग्रामीणों का दावा है कि गायब हुई प्रतिमा में झांग गोंग झूशी और पैट्रिआर्क झांग गोंग के अवशेष हैं, जो सोंग राजवंश के दौरान बीमारियों के इलाज में मदद करने के लिए इस्तेमाल होते थे।
प्रदर्शनी में हुए दर्शन
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 2015 में हंगरी की एक प्रदर्शनी में यह मूर्ति दिखाई दी थी। तीन साल तक चली इस कानूनी लड़ाई के बाद यह फैसला लिया गया कि यांगचुन गांव के लोगों को मूर्ति का मालिकाना हक दिया जा सकता है।
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