भारत आने वाले दिनों में अग्नि-V इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण कर सकता है। इस न्यूक्लियर मिसाइल की रेंज 5000 किलोमीटर है, ऐसे में चीन के कई शहर इसके जद में आ सकते हैं। ऐसे पड़ोसी देश चीन के होश उड़ चुके हैं और वो मिसाइल के परीक्षण के पहले दबाव बनाने की रणनीति के तहत भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का नियम याद दिला रहा है। बीजिंग ने कहा कि दक्षिण एशिया के सभी देशों को क्षेत्र में शांति, सुरक्षा एवं स्थिरता बनाए रखने के लिए काम करना चाहिए।

बता दें कि यह मिसाइल अपने साथ पारंपरिक विस्फोटकों के अलावा परमाणु वॉरहेड ले जाने में भी सक्षम है। अग्नि-5 का परीक्षण करने के बारे में भारत की योजना को लेकर जब चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजान से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया में शांति, सुरक्षा एवं स्थिरता बनाए रखने में सभी का साझा हित है। प्रवक्ता ने कहा कि हमें उम्मीद है कि सभी पक्ष इस दिशा में रचनात्मक प्रयास करेंगे। बता दें कि चीन ने भारत द्वारा अग्नि-5 के पूर्व में किए गए परीक्षणों पर भी इसी तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।

जहां भारत के मिसाइल कार्यक्रम के संबंध में चीन यूएनएससी प्रस्ताव का हवाला दे रहा है, वहीं चीन पिछले कुछ दशकों से पाकिस्तान के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों में सहायता करता आया है। चीन ने इस मामले में पाकिस्तान को यूरेनियम की सहायता पहुंचाई है। इसके अलावा न्यूक्लियर मिसाइलों के लिए टेक्नोलॉजी भी उपलब्ध कराई है। चीन का पाकिस्तान को ये सहयोग बेरोकटोक जारी है और तीन साल पहले इसे आधिकारिक तौर पर भी स्वीकार कर लिया गया था। साल 2018 में सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त चीन एकेडमी ऑफ साइंस ने घोषणा की थी कि उसने पाकिस्तान को एक ट्रैकिंग सिस्टम बेचा है जो पाकिस्तान को मल्टी-वॉरलेड मिसाइलों के विकास में काफी मदद कर सकता है।