नेपाल और चीन मिलकर ये बताने जा रहे हैं कि क्या भूकंप से माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई घट गई है। नेपाल की मीडिया ने यह खबर प्रकाशित की है कि चीन के गृह मंत्री नेपाल आ रहे हैंं ऐसे में दोनों देश मिलकर दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत की सही ऊंचाई की घोषणा करेंगे। नेपाल सरकार ने विवादों के बीच इस बात की घोषणा की थी कि वह माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई फिर से नापेगा क्योंकि साल 2015 में आए भूकंप और अन्य वजहों से उसकी ऊंचाई में अंतर आ चुका होगा।

साल 1954 में सर्वे ऑफ इंडिया ने माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई नापी थी। जब बताया गया था कि माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 8848 मीटर है. शिन्हुआ समाचार एजेंसी के मुताबिक साल 1975 में चीन के सर्वेयर ने माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई को 8848.13 मीटर बताया था। इस साल मई में चीन ने एक नया खुलासा करके दुनिया को चौंका दिया था।

इस साल मई में चीन की सरकार ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई फिर से नाप ली। इसके लिए चीन का एक सर्वेक्षण दल तिब्बत के रास्ते माउंट एवरेस्ट पर गया था। चीन के अनुसार माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 8844.43 मीटर है, यानी पहले से ज्ञात ऊंचाई से करीब 4 मीटर कम। चीन का मानना था कि नेपाल ने सही से ऊंचाई नहीं नापी है।

'द काठमांडू पोस्ट' अखबार ने लिखा है कि बुधवार को नेपाल के मंत्रियों की बैठक हुई है। जिसमें माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई की घोषणा करने को लेकर फैसला लिया गया है। नेपाल की भूमि प्रबंधन, कॉपरेटिव और गरीबी उन्मूलन मंत्री पद्मा कुमारी अरयाल ने इस बैठक के बाद कहा कि हम माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई की घोषणा आधिकारिक तौर पर करना चाहते हैं। यह पहली बार है जब हमारी सरकार ने दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत की ऊंचाई मापी है।

चीन के रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंगी ने रविवार को माईरिपब्लिका अखबार से कहा था नेपाल औऱ चीन मिलकर माउंट एवरेस्ट के ऊंचाई की घोषणा करने वाले हैं। द काठमांडू पोस्ट ने लिखा है कि यह अभी स्पष्ट नहीं है कि चीनी रक्षा मंत्री वेई फेंगी के 29 नवंबर को होने वाले नेपाल दौरे के समय ही माउंट एवरेस्ट के ऊंचाई की घोषणा होगी या उसके बाद।

इस साल मई में चीन की समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक नेपाल ने माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई नापने में गलती की थी। इसी वजह से चीन माउंट एवरेस्ट को दोबारा नापने के लिए तैयार हुआ है। चीन के साइंटिस्ट का मानना है कि एवरेस्ट की ऊंचाई नापने से इंसानों की समझ और बढ़ेगी। आमलोग वैज्ञानिक सोच की तरफ बढ़ेंगे।
चीन के सर्वेयरों ने मई में 20 वर्ग मीटर चौड़ी चोटी पर सर्वे मार्कर भी लगाया है. माउंट एवरेस्ट को तिब्बती भाषा में माउंट क्वोमोलंगमा कहते हैं। चीन और नेपाल ने माउंट एवरेस्ट के ऊपर से गुजर रही अपनी सीमा को लेकर उठे विवाद को 1961 में बातचीत करके खत्म कर दिया था। ज्यादातर पर्वतारोही तिब्बत की तरफ से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करते हैं. क्योंकि नेपाल में सुविधाएं कम हैं।