चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को कोविड उत्पति की जांच करने को लेकर अपनी ना कर दी है। चीन ने कहा है कि यह राजनीतिक तौर से प्रेरित दिखाई पड़ता है। चीन के उप विदेश मंत्री मा झाओक्सू ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हम वैज्ञानिक ट्रेसिंग का सपोर्ट करते हैं लेकिन राजनीतिक ट्रेसिंग का विरोध करते हैं।

बता दें कि कोरोना वायरस से संक्रमण का पहला केस 2019 के आख़िर में वुहान में मिला था। इसके बाद यह महामारी का रूप ले चुका है। इस खतरनाक बीमारी से अब तक 43 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

चीन ने 29 देशों और 31 प्रतिनिधियों से एक ब्रीफिंग में कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन बिना सदस्य देशों के परामर्श के कोरोना ओरिजिन के अगले चरण की जांच के प्रस्ताव को आया था जिसे ख़ारिज कर दिया गया है।

चीन के सरकारी न्यूज़ एजेंसी शिन्हुआ से बातचीत करते हुए मा ने कहा है कि चीन विश्व स्वास्थ्य संगठन की फॉलो-अप और सप्लीमेंट्री जांच जारी रखे हुए है। अगले चरण की कोविड जांच सिर्फ वैज्ञानिकों द्वारा जूनोटिक उत्पत्ति और उसके ट्रांसमिशन का पता लगाने के लिए किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा है कि बीजिंग हमेशा से कोविड कहां से आया, इसका पता लगाने में सहयोग करता रहा है। लेकिन हम जांच के राजनीतिकरण को खारिज कर रहे हैं।

चीन ने अमेरिका पर आरोप लगाते हुए कहा है कि कुछ ताकत तथ्यों की परवाह किए बिना विज्ञान का मुकाबला कर रहे हैं। इससे पहले चीन ने कोरोना वायरस की स्टडी योजना को जून में यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इसमें इस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया गया है जो विज्ञान का सम्मान नहीं करती। चीन ने उस अंतरराष्ट्रीय राय के खिलाफ लगातार कड़ा विरोध जताया है, जो कहता है कि कोरोना वायरस वुहान के एक लैब से लीक हुई थी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक टीम जनवरी 2021 में कोरोना वायरस उत्पति की जांच करने वुहान पहुंची थी। लेकिन यह टीम वायरस कहां से शुरू हुआ और फैला, इसे लेकर किसी फैसले पर नहीं पहुंच सकी थी। वुहान से लौटने के बाद इस जांच टीम के कई सदस्यों ने कहा कि जांच में चीन की ओर से सही तरीके से सहयोग नहीं किया गया। अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सभी सरकारों से कोरोना वायरस महामारी की उत्पति की स्टडी में तेजी लाने और सहयोग करने की अपील की है।