अभी तक आपने मोगली के बारे सुना होगा जो जंगल में जानवरों के साथ रहता है, हालांकि ये किरदार महज एक काहानी है। लेकिन हाल ही में एक ऐसी घटना हुई है जिसका लेकर हर कोई हैरान है। हम आपको एक ऐसे बच्चे (Child) की ही कहानी बता रहे हैं जो चिम्पांजी (chimpanzee) के साथ रहते-रहते खुद को ही चिम्पांजी बना बैठा।


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साइकोलॉजिस्ट विंथ्रॉप (Winthrop) और लुएला केलॉग (Luella Kellogg) के छोटे से बच्चे का नाम डोनाल्ड (Donald) था। अन्य बच्चों की ही तरह प्यारा है चंचल था मगर विंथ्रॉप ने अपने बच्चे के लिए तो कुछ और ही सोच रखा था।

साइकोलॉजिस्ट चाहता था कि उसका बच्चा उसके एक एक्सपेरिमेंट (Chimpanzee Child Experiment) का हिस्सा बने। इस वजह से वो एक दिन एक मादा चिम्पांजी को घर लेता आया।

उसने चिम्पांजी का नाम गुआ (Gua) रखा और कहा कि वो डोनाल्ड की बहन है। मगर माता-पिता का उद्देशय कुछ और ही था। वो एक अजीबोगरीब एक्सपेरिमेंट बच्चे के साथ करना चाहते थे।

उनका इरादा था कि वो अगले 5 साल तक बच्चे और वानर को एक साथ पालें जिससे वो दोनों के अंदर होने वाले बदलावों का अध्ययन करें। जब ये प्रोजेक्ट शुरू हुआ था गुआ सिर्फ 7 महीने का था जबकि बच्चा 10 महीने का था। इस एक्सपेरिमेंट का मां-बाप ने जो नतीजा सोचा था, वो उससे उल्टा साबित हुआ।

1931 में टेस्ट की शुरुआत हुई। दोनों को एक ही जैसे परिवेश में रखा गया। खाने के लिए एक जैसी चीजें दी गईं। एक ही बिस्तर में दोनों को सुलाया गया। एक जैसे खिलौने दिए गए और चिम्पांजी से इंसान की तरह ही बात की गई।

यही नहीं, उन्हें कपड़े भी एक जैसे पहनाए गए, और जब वो गलती करते थे तो सजा भी एक जैसी ही दी गई। यूं तो ये टेस्ट 5 साल चलना था मगर इसे सिर्फ 9 से 10 महीने में ही बंद करना पड़ा क्योंकि इसका नतीजा उल्टा हो गया।

विंथ्रॉप देखना चाहते थे कि चिम्पांजी इंसान की तरह रिएक्ट करता है या नहीं मगर हुआ यूं कि उनका बच्चा डोनाल्ड चिम्पांजी की तरह रिएक्ट करने लगा। खाना मांगने के लिए वो बंदर की तरह गुर्राने लगा और लोगों को काटने लगा।

कपल ने साल 1933 में इस शोध पर एक किताब भी पब्लिश की जिसका नाम था- ‘The Ape and the Child: A study of environmental influence upon early behaviour’।

उन्होंने बुक में ये भी बताया कि जैसे-जैसे बच्चा बोलना सीख रहा था वैसे-वैसे उसका दिमाग तेजी से चल रहा था जबकि दूसरी ओर चिम्पांजी ज्यादा ताकतवर होता जा रहा था।

किताब में उन्होंने बताया कि चिम्पांजी को ऑरेंज पार्क में छोड़ना पड़ा जिसके चलते एक्सपेरिमेंट बंद हो गया मगर उसके बाद तक इस एक्सेरिमेंट ने बच्चो को पूरी तरह से बदल दिया था। एक्सपेरिमेंट का नतीजा ये हुआ कि डोनाल्ड ने महज 43 साल की उम्र में अपनी जान ले ली।