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गुवाहाटी । तप की कोई सीमा नहीं होती है। यह कठोर से कठोरतम होता जाता है। छठ महापर्व भी तप की श्रेणी में आता है। नहाय-खाय के साथ ही आज से चार दिवसीय छठ महापर्व शुरू हो गया है।
वृहस्पतिवार को महापर्व के दूसरे दिन खरना के साथ ही शुरू होगा ब्रतियों के 36 घंटे का निर्जला उपवासा
छठ पूजा पर खरना का विशेष महत्व होता है। खरना का मतलब शुद्धिकरण है। खरना के दिन विशेष प्रसाद बनाया जाता है। शुद्धिकरण के लिए इस दिन ब्रती दिनभर त्रत रखते हैं और रात में प्रसाद ग्रहण करते हैं। हालांकि नदी घाट पर सीमित संख्या में लोगों के जाने की अनुमति दी गई है लेकिन कोरोना काल में सभी लोगों से घर में रहकर छठ पूजा करने की अपील की जा रही है। लोग
जागरूक हो रहे हैं और इस वर्ष छठ महापर्व के मौके पर आयोजित होने वाले संध्या एवं प्रातः कालीन अर्घ्य॑ अपने घरों से ही देने की व्यवस्था करने में जुट गए हैं। अर्घ्य के लिए कई स्थानों पर परिसर में खुदाई कर तालाब बनाया जा रहा है तो RCC घरों में रहने वाले लोग अपने छत पर ही तालाब बना रहे हैं ताकि कोरोना महामारी के बावजुद छठ मैया की उपासना पूरे विधि विधान के साथ संपन्न हो सके।
कोरोना संक्रमण के बावजूद छठ ब्रतधारियों व श्रद्धालुओं के उत्साह में कहीं कोई कमी नहीं दिख रही है। ब्रह्मपुत्र नद के किनारे से लेकर लगभग सभी जलाशयों के किनारे पूजा स्थल बनाने का काम अंतिम चरण में है।
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