उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर फटने से भारी तबाही हुई है। नंदा देवी नेशनल पार्क के करीब इस ग्लेशियर के फटने की वजह से रैणी गांव के पास ऋषि गंगा तपोवन हाइड्रो प्रोजेक्ट का बांध भी टूट गया। आईटीबीपी के डीजी सुरजीत सिंह देसवाल के मुताबिक चमोली त्रासदी में करीब 150 लोग लापता हैं और अब तक करीब 10 शव बरामद हो चुके हैं।
आईटीबीपी के डीजी के मुताबिक प्रोजेक्ट की टनल में 15-20 लोगों के फंसे होने की आशंका है। इस प्रोजेक्ट पर करीब 120 लोग काम कर रहे थे जो तेज पानी के बहाव में बह गए ऐसा अनुमान लगाया गया है। ग्लेशियर टूटने से धौलीगंगा नदी में बाढ़ आ गई। पानी तेज रफ्तार से आगे बढ़ा इसलिए आसपास के इलाकों में बाढ़ का पानी फैलने की आशंका है लिहाजा लोगों को रेस्क्यू किया जा रहा है। इस बीच केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के मुताबिक ग्लेशियर टूटने के कारण ऋषिगंगा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट क्षतिग्रस्त हुआ है वहीं नदी का जल स्तर भी बढ़ गया है।

गृह मंत्रालय के मुताबिक एनडीआरएफ की चार टीमें हवाईमार्ग से देहरादून पहुंच रही हैं जहां से वो जोशीमठ जाएंगी। वहीं आईटीबीपी और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल के कर्मियों को फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए प्रभावित इलाकों में पहुंच चुकी हैं।

चमोली के जिला प्रशासन की ओर से अलकनन्दा नदी के किनारे रह रहे लोगों के लिए अलर्ट जारी किया गया है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक सुबह अचानक बड़े जोर की आवाज के साथ धौली गंगा का जलस्तर बढ़ता दिखा। पानी तूफान के आकार में आगे बढ़ा और अपने रास्ते में आने वाली सभी चीजों को बहाकर ले गया। चमोली के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी ने बताया कि मौके पर प्रशासन की टीम मौजूद है।

अधिकारियों के मुताबिक प्रशासन की टीम राहत और बचाव कार्यों पर निगरानी रखने के साथ नुकसान का जायजा भी ले रही है। रैणी से लेकर श्रीनगर तक अलकनन्दा के किनारे रह रहे लोगों के लिए चेतावनी जारी की गई है। रैणी में सीमा को जोड़ने वाला मुख्य मोटर मार्ग भी इस बाढ़ की चपेट में आकर बह गया है। दूसरी ओर रैणी से जोशीमठ के बीच धौली गंगा पर नेशनल थर्मल पॉवर कारपोरेशन की तपोवन विष्णुगाड़ जलविद्युत परियोजना के बैराज स्थल के आसपास के इलाके में भी कुछ आवासीय भवन बाढ़ की चपेट में आकर बह गए हैं।