महिला और बाल सुरक्षा पर विशेष ध्यान देते हुए रेलवे 6000 रेलवे स्टेशनों और सभी प्रीमियम ट्रेनों में क्लोज सर्किट टेलीविजन (सीसीटीवी) कैमरे लगाने की प्रक्रिया शुरू करने जा रही है और जल्द ही इसे लेकर टेंडर जारी करेगी।


रेलवे के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार ए, बी, सी, डी एवं ई श्रेणी के सभी स्टेशनों के परिसरों को सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में लिया जाएगा और वाई-फाई सेवा से जोड़ कर इन स्टेशनों की सजीव जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध करायी जाएगी। इस बारे में भारतीय रेलटेल निगम काम कर रहा है।


सीसीटीवी कैमरों की खरीद के लिए धन के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि निर्भया कोष से भी इसके लिए धनराशि मिलेगी। ट्रेनों में सीसीटीवी कैमरों को लगाने को लेकर समस्याओं का जिक्र करते हुए सूत्रों ने कहा कि गाड़यिों में सीसीटीवी कैमरों से हर जगह लाइव फीड मिलना मुश्किल होगा। फिर भी आरंभ में 168 प्रीमियम ट्रेनों -राजधानी, शताब्दी, दूरंतो, हमसफर, गतिमान आदि गाड़ियों तथा मुंबई की सभी लोकल ट्रेनों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे।


बाद में अन्य ट्रेनों में लगाया जाएगा। रेलवे में गाड़ियों की लेटलतीफी के बारे में चर्चा करने पर सूत्रों ने कहा कि रेलवे ने ट्रैक के अनुरक्षण के कामों को तेजी से पूरा करने के साथ समयबद्धता को लगभग साढ़े तीन माह में ही 60 प्रतिशत से बढ़ाकर 73 प्रतिशत के स्तर तक लाने में सफलता हासिल की है।


उन्होंने कहा कि नयी समय सारिणी में दो से तीन घंटे तक संरक्षण ब्लॉक अनिवार्य रूप से जोड़ा गया है। इसके अतिरिक्त रविवार या छुट्टी के दिन चार से पांच घंटे तक का मेगा ब्लॉक लेने का भी प्रावधान किया गया है ताकि एक लंबे खंड पर संरक्षा के अधिकतम कार्य न्यूनतम समय में पूरे हो सके। सूत्रों के अनुसार समयपालन को शत- प्रतिशत हासिल करने के लिए क्षमता वृद्धि की परियोजनाओं को तेजी से पूरा किया जा रहा है।


करीब 19 हजार किलोमीटर लाइन का दोहरीकरण, तिहरीकरण या चौथी लाइन डालना है। उन्होंने कहा कि भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड (सेल) ने पटरियों का उत्पादन बढ़ा दिया है। इस साल के अंत तक बैकलॉग पूरा हो जाएगा और इससे गाड़यिों की रफ्तार बढ़ सकेगी। समर्पित मालवहन गलियारे का काम भी मार्च 2020 तक पूरा हो जाएगा जिससे बहुत क्षमता सृजित होगी।


उन्होंने बताया कि रेलवे में वास्तविकता के आधार पर गाड़ियों के आवागमन का दर्ज किया जाने लगा है तथा ऑनलाइन सही सही जानकारी सुलभ कराने के लिए सभी इंजनों में आधुनिक जीपीएस उपकरण लगाने का भी फैसला लिया गया है। सूत्रों के अनुसार मार्च तक करीब एक हजार इंजनों में जीपीएस उपकरण लगाये जाने हैं। इससे यात्रियों को मोबाइल गूगल मैप पर गाड़ी की सही लोकेशन का पता चल जाएगा।


प्रीमियम गाड़ियों में फ्लैक्सी फेयर स्कीम की चौतरफा आलोचना के बाद उसे दुरुस्त करने की रेल मंत्री की घोषणा के बारे में पूछे जाने पर सूत्रों ने बताया कि इस स्कीम की समीक्षा की रिपोर्ट आज ही रेल मंत्री को सौंपी गयी है। उन्होंने फ्लैक्सी फेयर स्कीम का बचाव करते हुए कहा कि यह योजना केवल 168 गाड़यिों में लागू है जो कुल यात्री गाड़ियों का डेढ़ प्रतिशत के करीब है। इससे आमदनी बढ़ी है और लोगों ने इसे अपनाया है।


सूत्रों ने बताया कि मुंबई में वातानुकूलित लोकल ट्रेन का प्रयोग काफी कामयाब रहा है। जल्द ही करीब एक दर्जन नये एसी रैक सेवा में उतारे जाएंगे। इसके अलावा 73 गाड़यिों में तीन एसी कोचों को लगाने का काम किया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि देश में एलबीएच कोचों का उत्पादन बढ़ गया है और अगले साल तक एलएचबी कोचों की उत्पादन क्षमता बढ़कर 4630 कोच की हो जाएगी। बता दें कि कुछ हाल के दिनों में असम में चलती ट्रेन में महिलाओं के साथ बलात्कार व हत्या की घटना हुई थी। ऐसे में रेलवे का यह कदम इन अपराधों पर अंकुश लगाने में कारगर साबित होगा।