कनाड़ा ने Corona से निपटने का जबरदस्त प्लान बनाया है जिसके तहत वो अपने देश की आबादी से 9 गुना ज्यादा वैक्सीन खरीद रहा है। एक ओर जहां भारत में स्वनिर्मित कोविड वैक्सीन कोवैक्सीन और कोविशील्ड की आपूर्ति कम पड़ने की खबरों के बीच केंद्र सरकार ने विदेशी टीकों को भी आपातकालीन उपयोग की अनुमति दे दी है। इस कारण भारत के पास कोरोना वैक्सीन का भंडार फिर से बहुत बड़ा बनने जा रहा है। दुनियाभर में वैक्सीन की करोड़ों डोज की खपत हो चुकी है और अलग-अलग देशों ने करोड़ों डोज के ऑर्डर दे रखे हैं। लेकिन, हमारे लिए यह कहना अब भी बहुत मुश्किल है कि कब तक और कितने लोगों को टीका लगाने देने के बाद हमें महामारी से निजात मिल जाएगी। आइए इस लिहाज से कुछ महत्वपूर्ण आंकड़ों पर नजर डालते हैं। इन्हें हमारे सहयोगी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया के केनेथ मोहंती/अंजिष्णु दास ने ड्यूक ग्लोबल हेल्थ इनोवेशन सेंटर, यूनिसेफ, आवर वर्ल्ड इन डेटा और रॉयटर्स से इकट्ठा किए हैं।

फाइजर ने इस साल के लिए 2.5 अरब वैक्सीन डोज तैयार करने का सबसे बड़ा लक्ष्य रखा है। भारत अब तक 1.5 अरब वैक्सीन डोज खरीद चुका है और 92.30 करोड़ से ज्यादा डोज खरीदने की योजना है। मॉडर्ना (Moderna) और जॉनसन एंड जॉनसन (J&J) के पास बड़ी उत्पादन क्षमता है, लेकिन इन दोनों कंपनियों को पहले से ही क्षमता से 10-10 करोड़ ज्यादा डोज के ऑर्डर मिले हुए हैं।

यूरोपियन यूनियन, अमेरिका और यूके दुनिया में सबसे ज्यादा वैक्सीन खरीदने वाले टॉप देशों में शुमार हैं। यूरोपियन यूनियन ने अकेले 1.8 अरब डोज खरीदी है। यूनियन में शामिल देशों ने ज्यादातर फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन ही खरीदी है। वहीं, अमेरिका ने अपनी 33 करोड़ आबादी के लिए 1.2 अरब वैक्सीन डोज खरीद ली है, उसके बाद भी 1.3 अरब डोज खरीदने का सौदा करने जा रहा है।

दुनियाभर के देशों ने अब तक 15.4 अरब डोज खरीद ली है या फिर खरीदारी के सौदे कर रहे हैं। दरअसल, कई देश वैक्सीन का बड़े से बड़ा भंडार बनाना चाहते हैं। हालांकि, ड्यूट यूनिवर्सिटी ने कहा है कि "इस तरह से पूरी दुनिया एक हरेक व्यक्ति को 2023 या 2024 तक टीका नहीं लगाया जा सकेगा।" इसका कारण यह है कि ज्यादातर वैक्सीन डोज हाई इनकम और कुछ मिडल इनकम वाले देशों ने खरीदी है और खरीद भी रहे हैं। इसका मतलब है कि बहुत से मिडल इनकम और लो इनकम वाले देशों को वैक्सीन या तो नहीं मिल पाएगी या फिर अपर्याप्त मात्रा में मिलेगी।

कई धनी देश आबादी के लिहाज से भारत के मुकाबले बहुत छोटे हैं, लेकिन वो अडवांस में वैक्सीन का ऑर्डर दे रहे हैं। हालांकि, उनके यहां टीकाकरण अभियान जोरों से चल रहा है। बावजूद उसके वो वैसी वैक्सीन के लिए भी डील कर रहे हैं जो अभी विकसित होने की प्रक्रिया में ही हैं। इसी मानसिकता के कारण अमेरिका और कनाडा ने अपने वैक्सीन का जखीरा अपनी-अपनी आबादी के मुकाबले कई गुना ज्यादा बड़ा तैयार करने पर जोर दे रहा है।

इस साल अलग-अलग कंपनियों की कुल 12 अरब डोज बनकर तैयार हो सकती है। चूंकि ज्यादातर वैक्सीन की दो खुराक देने की जरूरत है, इस लिहाज से ड्यूक यूनिवर्सिटी का आकलन है कि दुनिया की 70% आबादी को टीका लगाने के लिए करीब 11 अरब डोज की जरूरत पड़ेगी। हर्ड इम्यूनिटी (Herd Immunity) के लिए इतनी आबादी का टीकाकरण जरूरी भी है।

12 अरब वैक्सीन डोज तैयार करने का तय लक्ष्य पाने की चुनौती ही नहीं है, बल्कि इसका समानुपाती वितरण सुनिश्चित करना भी एक कठिन परीक्षा है। अगर, दुनिया को कोरोना वायरस के संक्रमण से पैदा हुई कोविड-19 महामारी की तबाही से बचना है तो 70% आबादी को टीका लगाकर हर्ड इम्यूनिटी पैदा करना ही होगा। इस बीच वायरस के अलग-अलग वेरियेंट्स भी नई-नई चुनौतियां पैदा कर रहे हैं। इसके मद्देनजर इस साल के आखिर तक नई तरह की वैक्सीन भी ढूंढने का काम शुरू करना होगा जो नए-नए वेरियेंट्स के खिलाफ ज्यादा कारगर हो। एक उलझन यह भी बनी हुई है कि आखिर वैक्सीन कितने वक्त तक लोगों को कोरोना वायरस से सुरक्षित रखती है। क्या वायरस से सुरक्षा के लिए हमें बार-बार टीका लगवाते रहना पड़ेगा? एक बड़ी चुनौती यह है कि बच्चों और 18 वर्ष से नीचे के किशोरों के लिए अब तक कोई वैक्सीन ही नहीं बन पाई है।

अपनी आबादी के सबसे बड़े हिस्से को टीका लगाने के मामले में इजरायल दुनिया में टॉप पर है। उसने लगभग 62% आबादी को टीका लगा दिया है। अमेरिका ने 47.6% और यूके ने 37% आबादी को वैक्सीनेट किया है। हालांकि, यूके के ज्यादातर हिस्सों में 45 साल से नीचे की उम्र के लोगों को टीका लगाना बाकी है। उधर, अमेरिका में 19 अप्रैल से 18 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों को टीका लगाया जाएगा। कनाडा ने अपनी 21% आबादी को टीका लगा दिया है। वहीं, फ्रांस, जर्मनी, इटली और स्पेन ने अपनी-अपनी करीब 17% आबादी की टीकाकरण कर दिया है। भारत में अब तक 7% आबादी को ही टीका लग पाया है। इनमें भी ज्यादातर लोगों को दूसरी डोज देना बाकी है। भारत में एक तरफ हर दिन बीते दिन से ज्यादा नए कोरोना केस आ रहे हैं तो दूसरी तरफ वैक्सीन, ऑक्सिजन, हॉस्पिटल बेड सहित अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से चिंता बढ़ रही है।