अफगानिस्‍तान में सरकार बनाने के लिए हो रही तालिबान कई तरह के दांव पेंच लड़ा रहा है लेकिन आतंकी गुटों में हो रहे मतभेदों से सरकार बनाने में रोड़े फंस रहे हैं। इसी बीच तालिबान ने अपने नेतृत्‍व को लगभग अंतिम रूप दे दिया है। संभावना है कि मुल्‍ला मोहम्‍मद हसन अखुंड देश के राष्ट्रपति, इनके साथ दो डिप्‍टी मुल्‍ला बरादर अखुंड और मुल्‍ला अब्‍दुस सलाम भी हो सकते हैं। इस मामले में पाकिस्तान की अहम भूमिका बताई जा रही है। जिससे नाराज अफगान को लोग पाकिस्तान के खिलाफ काबुल में प्रदर्शन कर रहे हैं।

खबर मिली है कि मुल्‍ला अखुंडजाद ने हसन अखुंड को इस राष्ट्रपति पद के लिए नामित किया है। वहीं, तालिबान के सक्रिय होने के बाद से अफगानिस्‍तान के प्रवक्‍ता जबीउल्‍लाह मुजाहिदीन मुल्‍ला मोहम्‍मद हसन अखुंड होंगे। सूत्रों ने बताया है कि सिराज जुद्दीन हक्‍कानी अफगानिस्‍तान के नए गृह मंत्री होंगे और यही सभी गवर्नरों को नामित करेंगे। इससे पहले सूत्रों ने कहा था कि पाकिस्‍तान के ISI प्रमुख हामिद फैज की काबुल यात्रा का भी यही मकसद था।


वह हक्‍कानी को अफगान सेना के पुर्नगठन में मदद करने पहुंचे थे. तालिबान और अफगानिस्‍तान सेना के संघर्ष के बीच सेना की हालात सबसे खराब बताई गई थी। बता दें कि पाकिस्‍तान के ISI को हक्‍कानी नेटवर्क का संरक्षक कहा जाता है। यह संगठन अलकायदा से जुड़ा हुआ है, जबकि इसे संयुक्‍त राष्‍ट्र और अमेरिका ने आतंकवादी समूह घोषित किया हुआ है। सूत्रों ने बताया कि अफगानिस्‍तान में विदेश मंत्री का पद मुल्‍ला अमीर खान मुत्‍ताकी के पास होगा।

मुल्‍ला मोहम्‍मद हसन अखुंड रहबारी शूरा के चीफ हैं। बता दें कि यह संस्‍था तालिबान के फैसले लेने वाली संस्‍था या नेतृत्‍व परिषद कहलाती हैृ। बताया गया है कि हसन अखुंड का जन्‍म कंधार में हुआ था और वह तालिबान के आर्म्‍ड मूमेंट के फाउंडर्स में से एक था। खबरों में बताया गया कि पाकिस्‍तान के ISI चीफ ने काबुल में पूर्व प्रधानमंत्री गुलबुद्दीन हिकमतयार से मुलाकात की थी।